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615 वर्ष पुरानी परम्परा के साथ बस्तर के गोंचा महोत्सव का समापन, धूमधाम से निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

20/06/2023 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, Dantewada    

ऐतिहासिक बस्तर गोंचा पर्व में छेरा-बाहरा रस्म के साथ ही तीन रथों में भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के 22 विग्रहों की रथ परिक्रमा आज संपन्न हुई। इस दौरान हरी बोलो व जगन्नाथ की जयघोष के साथ पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया। श्रद्धा, उत्साह और भक्ति के साथ लोगों ने रथ को खींचा और भगवान जगन्नाथ स्वामी माता सुभद्रा और बलभद्र स्वामी गुडिचा मंदिर में नौ दिन के लिए स्थापित किया।

जगन्नाथपुरी की तरह बस्तर के गोंचा उत्सव में भी बस्तर महाराजा कमलचंद भंजदेव द्वारा छेरा-बाहरा विधान किया जाता है। 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खांबरी ने बताया कि बस्तर राज परिवार द्वारा इस रस्म को पूरा करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली झाडू कुश और चांदी से बनी होती है। इस झाड़ू का इस्तेमाल केवल रथ यात्रा के दौरान ही किया जाता है। हर साल झाडू में नया कुश लगाया जाता है।

भगवान को गजामुंग और फनस खोसा का भोग

बस्तर गोंचा उत्सव  में भगवान जगन्नाथ स्वामी के सम्मान में तुपकी चलाने की अनूठी परंपरा बस्तर गोंचा उत्सव को विशिष्ट स्थान देती है। उत्सव के लिए बस्तर के ग्रामीण बड़ी मात्रा में तुपकी लेकर आए, भगवान जगन्नाथ स्वामी के सम्मान में 615 साल पहले बस्तर के जन समुदाय द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर के रूप में शुरू की गई परंपरा आज भी जारी है। श्रीगोंचा पूजा विधान में भगवान जगन्नाथ स्वामी को परम्परानुसार गजामुंग और फनस खोसा का भोग लगाकर रथयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को गजामुंग और फनस खोसा का प्रसाद वितरण किया गया।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
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