गोंडवाना विशेष: दीपोत्सव या दीपावली : उत्सव भी और मन का आलोक भी !
बाली तो सुग्रीव से अधिक बलवान था किन्तु भगवान राम ने उसका साथ नहीं लिया,व्यंजन तो दुर्योधन ने विविध बना रखे थे और निमंत्रण भी वहीं से था किन्तु भगवान कृष्ण साग-रोटी खाने विदुर के घर चले गए और वह भी बिना निमंत्रण के !
सीताहरण के बाद भगवान राम चाहते तो अयोध्या और मिथिला से सेना बुला सकते थे किन्तु वन के नर अर्थात वानर और भालू की सहायता से असम्भव को सम्भव करना सिखा दिया !
सीताजी ने,जो राजा की पुत्री और राजा की ही पुत्रवधु थीं,ने हनुमान जी से तो प्रत्यक्ष वार्तालाप किया किन्तु दुराचारी रावण से तिनके की ओट से प्रत्युत्तर दिया !
लक्ष्मण जी और भरत जी ने तो कर्तव्य और धर्म का उत्कर्ष ही जगत के समक्ष रख दिया !
जटायु ने परिणाम जानते हुए भी धर्म के पालन में धर्मपथ से विचलित हुए बिना अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी और अतुलित बलशाली हनुमान जी ने तो भक्ति का वेद ही रच डाला !
इस प्रक...