अपनी परंपरा की समृद्ध सांस्कृतिक समझ उज्जवल भविष्य का नींव भी तैयार करती है। परंपरा अपने परिवेश की समझ के आधार पर तैयार की गई है। कृषि प्रधान संस्कृतियों के विकास में गोधन की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका होती है और हमारे पूर्वजों ने इसे समझते हुए गोधन का उपयोग आर्थिक विकास के लिए पूरी तौर पर किया। अन्नदा, वन्नदा, सुखदा की आवधारणा को लेकर चलते हुए उन्होंने प्रकृति को सहेजते हुए जैविक खेती अपनाई, गोबर खाद का प्रयोग किया। पंचगव्य का प्रयोग कीटनाशक की तरह फसलों की रक्षा के लिए किया। कृषि को संरक्षण प्रदान करने के लिए इसकी अभिवृद्धि के लिए इन्होंने संसाधन स्थानीय परिवेश से ही लिए। यही वजह है कि सैकड़ों वर्षाें से अन्न देने वाली छत्तीसगढ़ की धरती कभी वंध्या न हुई। रासयनिक खादों के बढ़ते प्रयोग ने भूमि पर दबाव डाला और इसकी उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे क्षरित होने लगी है।
इन सभी बातों को भली-भांती समझते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने के साथ-साथ गौठानों को विकसित करने का जो निर्णय लिया है, निश्चय ही आने वाला समय सुखद व सुखमय होगा। राज्य के सभी जिलों में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में पशुधन को बढ़ावा देने में बल मिला है। गौठानों में गाय को उचित माहौल में रखने के परिणाम स्वरूप अब स्पष्ट रूप से इसके आयाम और फायदें नजर आ रहें हैं। योजना का लाभ भी मिलने लगा है। गांव में रोजगार के अवसर और आय का साधन जुटाने का जरिया बन रहें है। अब समय के साथ इससे दूर होते लोग इससे जुड़ रहे है।
गौठानों से जुड़कर महिला समूह सशक्त और मजबूत हो रहीं है। महिला समूहों को अपने आप को स्थापित कर नए-नए आयामों को अपनाकर आय का साधन जुटाने का अवसर मिला है। महिला समूह गौठान से जुड़कर कंम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रही है, जो कि आज के समय में प्रदूषित हो रही जमीन, फल, सब्जी अनाज के लिए वरदान साबित होगा। कंपोस्ट खाद खेती की प्राकृतिक गुणवत्ता को बनाए रखने व शुुद्व फसल के लिए बेहद जरूरी है। गो धन न्याय योजना से निश्चय ही राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संजोए रखने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। आने वाले समय में राज्य की पहचान पुरे देश में अलग पहचान होगी और विकसित राज्य बनाने का सपना सकार होगा।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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