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​​​​​​​छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग द्वारा ’’कृषि, जल संरक्षण, खाद्य प्रसंस्करण व संबंध क्षेत्र के विकास’’ पर गठित टॉस्क फोर्स की बैठक सम्पन्न

23/07/2021 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh    

कृषि, जल संरक्षण, खाद्य प्रसंस्करण व संबंध क्षेत्र के विकास पर गठित टॉस्क फोर्स की प्रथम बैठक का योजना भवन, नवा रायपुर में श्री प्रदीप शर्मा, सलाहकार, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। डॉ. के. सुब्रमणियम, सदस्य, राज्य योजना आयोग द्वारा बतलाया गया कि राज्य योजना आयोग छत्तीसगढ़ द्वारा राज्य के समग्र विकास हेतु सुझाव एवं अनुशंसाएॅ प्रदान करने 14 टॉस्क फोर्स गठित की गई है। ’’कृषि, जल संरक्षण, खाद्य प्रसंस्करण व संबंध क्षेत्र के विकास’’ संबंधित विषय पर गठित टॉस्क फोर्स में लब्ध प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों, सामाजसेवी एवं जनप्रतिनिधियों एवं विभागीय अधिकारियों को शामिल किया गया है।

बैठक में श्री प्रदीप शर्मा ने शासन की महत्वांकाक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी संबंध में हुई प्रगति एवं बेहतर क्रियान्वयन की संभावना हेतु सुझाव दिये गये। उन्होंने उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करते हुये समग्र ग्रामीण विकास की अवधारणा पर जोर दिया। उन्होंने प्रदेश में मत्स्य पालन की अपार संभावनाओं को ध्यान मंे रखते हुये राज्य की मत्स्य पॉलिसी तथा एक्वाकल्चर विलेज के विकास की आवश्यकता बतलाई। गौठान समिति की सक्रिय भागीदारी हेतु सतत् प्रोत्साहन व क्षमता विकास की आवश्यकता बतलाई। उन्हांेने कहा कि गौठान में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन कर उसके विक्रय से कई महिला स्व-सहायता समूह आय अर्जन कर रहे है। समूहों द्वारा उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पादों के रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के माध्यम से प्रभावी विपणन हेतु टॉस्क फोर्स से सुझाव अपेक्षित किये गये।

श्री अनूप कुमार श्रीवास्तव, सदस्य सचिव, राज्य योजना आयोग द्वारा बतलाया गया कि राज्य में आर्गेनिक एवं नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने हेतु ग्रीन प्रोक्योरमेंट पॉलिसी का निर्धारण किया जाना उचित होगा।

बैठक में श्री यशवंत कुमार, संचालक, कृषि द्वारा प्रभावी विपणन हेतु ई-कामर्स सुविधा विकसित किये जाने पर जोर दिया। संचालक, पशुपालन द्वारा जानकारी दी गई कि विभाग द्वारा नवाचार जैसे- सेक्स सौर्टेड सीमन उपयोग, हीट सिन्क्रोनाईजेशन तकनीक का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सफलता से किया गया है। जिसके राज्य में बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकता है।

श्री माथेश्वरण, संचालक, उद्यानिकी द्वारा उद्यानिकी फसलो हेतु पोस्ट हार्वेस्ट प्रोसेसिंग तथा वेल्यू एडिशन की आवश्यकता बतलाई। टास्क फोर्स सदस्य डॉ. जी.वी. रामनजानेयुलु, सेंटर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, हैदराबाद द्वारा बतलाया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य में ऑर्गेनिक उत्पादन की बहुत संभावना है तथा राज्य में वृहद जैव विविधिता होने से नये प्रोडक्ट लाने की अत्यन्त संभावनाएॅ है। डॉ. कविता कुरूगांती, एलायंस फार सस्टेनेबल एण्ड हालिस्टिक एग्रीकल्चर (आशा), नई दिल्ली द्वारा बतलाया गया कि एग्रीकल्चर एक्सटेंशन हेतु समुदायिक स्तर पर मानव संसाधन तैयार किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।

उन्हांेने राज्य द्वारा संचालित नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी की प्रशंसा करते हुये ग्रामीण संसाधनों के बेहतर उपयोग हेतु तथा आजीविका हेतु उपयोगी बतलाया। प्रो. त्रिलोचन शास्त्री, आईआईएम, बंगलौर द्वारा सहकारिता को सुदृ़ढ करते हुये बेहतर विपणन प्रणाली विकसित कर किसानों को उनके उत्पाद का अधिकाधिक मूल्य प्राप्ति की संभावना हेतु प्रयास करने की आवश्यकता बतलाई।

प्रो. हिमांशु, सेंटर फॉर इकानामिक स्टडीज एण्ड प्लानिंग, जेएनयू, नई दिल्ली द्वारा कृषि के उन क्षेत्रों में प्राथमिकता से निवेश आवश्यक बतलाया जिससे किसानों को अधिकाधिक लाभ हो साथ ही पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी के अनुकुल हो। उन्होंने भारत सरकार के कमीशन ऑन एग्रीकल्चर कॉस्ट एण्ड प्राईसेस के तर्ज पर कमीशन ऑन एग्रीकल्चर फॉर्म इनकम बनाये जाने की आवश्यकता बतलाई जिससे किसानो की वास्तविक लागत, लाभ इत्यादि की गणना कर उचित रणनीति व योजना बनाई जा सके।

डॉ. सुलतान अहमद इस्माईल, एडवाईसर एवं पूर्व डायरेक्टर, इकोसाईंस रिसर्च फाउण्डेशन, चेन्नई द्वारा बतलाया गया कि छ.ग. राज्य में बैकयार्ड मत्स्य पालन की अपार संभावनाएॅ है। सुश्री नमिता मिश्रा, एफ.ई.एस., रायपुर द्वारा प्रवासी मजदूर जो किसान भी है उनकी समस्याओं को भी संज्ञान में रखते हुये योजना बनाने की आवश्यकता बतलाई। श्री अमरलोपावनाथा, सेवानिवृत्त डीएमडी, नाबार्ड, प्रो. सृजित मिश्रा, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलेपमेंट रिसर्च, मुम्बई, डॉ. रविन्द्र पस्तोर, सी.ई.ओ., ई-फसल, इंदौर ने भी कृषि क्षेत्र में छ.ग. राज्य में किये जा सकने वाले गतिविधियों के संबंध में सलाह दी।

उल्लेखनीय है कि इस टॉस्क फोर्स अंतर्गत 9 वर्किंग ग्रुप (कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, एन.जी.जी.बी., सहकारिता, खाद्य प्रसंस्करण, एग्री-फोरेस्ट्री तथा जल संसाधन) का अलग से गठन किया गया है। इन वर्किंग गु्रप द्वारा सेक्टर विकास हेतु उपयुक्त रोड मैप, अनुशंसाएं प्रदान की जाएगी। जिसे टॉस्क फोर्स द्वारा परीक्षण कर उपयुक्त अनुशंसाओं को राज्य शासन को प्रेषित किया जाना है। बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारियों के अलावा राज्य योजना आयोग के अधिकारी एवं कृषक, पशुपालक, स्वयंसेवी संस्थाओ के प्रतिनिधि उपस्थित हुए।

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