गोबर से बने उत्पाद गोकाष्ठ, कण्डे, अगरबत्ती और वर्मी वॉश जैसे उत्पाद तैयार और विक्रय कर महिलाएं अपने भविष्य के संवारने के साथ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही है। गोधन न्याय योजना गांव के साथ-साथ शहरी क्षेत्र में भी रोजगार का एक सशक्त माध्यम बन कर उभरी है। नगरपालिक निगम क्षेत्र धमतरी में नवज्योति शहर स्तरीय संघ से जुड़ी 175 महिलाएं गोबर से विविध उत्पाद बना रही है।
समूह की महिलाएं शहर से कचरा संग्रहण करने के बाद सुबह आठ से दोपहर तीन बजे दानीटोला वार्ड में स्थित एसआएलएम सेंटर की अलग-अलग यूनिट में वर्मी कम्पोस्ट के अलावा गोकाष्ठ (गोबर की लकड़ी), कण्डे, अगरबत्ती और वर्मी वॉश तैयार करती हैं। संघ की अध्यक्ष श्रीमती मधुलता साहू ने बताया कि निगम क्षेत्र में ऐसे चार सेंटर संचालित हैं, जहां वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जाता है, साथ ही कण्डे, गौकाष्ठ, वर्मी वॉश और अगरबत्ती भी तैयार किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर निर्मित गौकाष्ठ की काफी मांग है।
नगरपालिक निगम के आयुक्त ने बताया कि बताया कि यहां उत्पादित गौकाष्ठ को निगम क्षेत्र के अलावा नगर पंचायतों में भी आपूर्ति की जा रही है, जहां अलाव के तौर पर जलाने के साथ-साथ ढाबों में ईंधन (चूल्हा) के रूप में, शवदाह गृहों में शवों को मुखाग्नि देने तथा हवन-पूजन में लकड़ी के विकल्प के तौर पर आहुति देने का भी कार्य किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि शहर के एसआरएलएम सेंटरों में औसतन प्रति माह छह हजार कण्डे, 4500 गौकाष्ठ और ढाई हजार लीटर वर्मी वॉश तैयार हो रहे हैं। एक क्विंटल गौकाष्ठ का मूल्य एक हजार रूपए तथा कण्डे की कीमत 300 रूपए प्रति सैकड़ा है, जबकि वर्मी वॉश लिक्विड 35 रूपए प्रतिलीटर की दर से बेचा जाता है। इन उत्पादों को थोक के अलावा चिल्हर में भी बेचा जाता है जिसे मोबाइल नंबर 7470739265 पर कॉल करके बुकिंग कराई जा सकती है। इनकी घर पहुंच सेवा भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि ये सभी उत्पाद प्रयोगशाला परीक्षण में उत्कृष्ट सिद्ध हुए हैं। इन सेंटरों में अब तक 39 हजार रूपए की केंचुआ खाद बेची जा चुकी है। शहर के दानीटोला वार्ड, सोरिद वार्ड, नवागांव वार्ड तथा गोकुलपुर वार्ड में ये उत्पाद तैयार हो रहे हैं। निगम क्षेत्र में 201 वर्मी बेड व 300 ग्रीन बैग में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा रहा है।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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