छत्तीसगढ़ में आरक्षण को बहाल करने के लिए नया कानून बनाने की राह आसान नहीं दिख रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में आरक्षण पर नया कानून लाने की संभावनाओं पर चर्चा हुई है। अफसरों की सलाह थी कि केवल 2011 के जनगणना के आंकड़ों के सहारे कानून बनाया गया तो अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण पांच प्रतिशत से अधिक नहीं हो पाएगा।
वही, अधिकारियों का कहना था कि इसको राष्ट्रपति के पास विशेष मंजूरी के लिए भेजते समय आधार बताना होगा। अभी अपने पास अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या के आंकड़े हैं। यह 2011 की जनगणना में आये हैं। इसके सहारे अनुसूचित जनजाति को 32% और अनुसूचित जाति को 13% आरक्षण दिया जा सकता है। यह मिलाकर 45% हो जाएगा। अब अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए केवल 5% का आरक्षण बचेगा। यह नया संकट खड़ा कर देगा। ऐसे में अच्छा होगा कि अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के गरीबों का पूरा आंकड़ा आने के बाद तथ्यों और तर्कों के साथ इसको आगे बढ़ाया जाए।
क्वांटिफायबल डेटा आयोग की रिपोर्ट का इंतजार
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया, सरकार ने क्वांटिफायबल डेटा आयोग की रिपोर्ट का इंतजार करने का फैसला किया है। उनकी जल्दी रिपोर्ट देने को कहा गया है। वह रिपोर्ट आ जाएगी तो वैज्ञानिक तौर पर सरकार बताने की स्थिति में होगी कि प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग की संख्या कितनी है। उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देने का तर्कसंगत फैसला हो सकेगा। उसके बाद ही सरकार अपना निर्णय लेगी और कदम उठाएगी।
आरक्षण मामले में अब तक क्या हुआ है
राज्य सरकार ने 2012 आरक्षण के अनुपात में बदलाव किया था। इसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण 32% कर दिया गया। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% किया गया। इस कानून को गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। बाद में कई और याचिकाएं दाखिल हुईं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितम्बर को इसपर फैसला सुनाते हुये राज्य के लोक सेवा आरक्षण अधिनियम को रद्द कर दिया। इसकी वजह से आरक्षण की व्यवस्था खत्म होने की स्थिति पैदा हो गई है। शिक्षण संस्थाओं में भी आरक्षण खत्म हो गया है। भर्ती परीक्षाओं का परिणाम रोक दिया गया है। वहीं कॉलेजों में काउंसलिंग नहीं हो पा रही है।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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