सोमवार को रायपुर स्थित निवास कार्यालय से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से वर्चुअल शुभारंभ कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नवीन तहसील की सौगात दी। संसदीय सचिव व गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद ने बताया कि सीएम ने आम जनता को सहुलियत देने तथा राजस्व संबंधी समस्याओं के समय पर निराकरण करने के लिए प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण के तहत जिलेवासियों को मार्री बंगला-देवरी के रूप में नई तहसील की सौगात दी है। लेकिन देवरीबंगला में उप तहसील के नाम को लेकर ग्रामीण धरने पर बैठ गए है।
दरअसल देवरी के ग्रामीणों की मांग है कि तहसील का नाम मार्री बंगला-देवरी के बजाय देवरी बंगला किया जाये। बता दें कि नाम को लेकर पिछले कई दिनों से स्थानीय लोगो में विरोध देखा जा रहा था, लेकिन आज इस तहसील के वर्चुअल उदघाटन के बाद ग्रामीणों ने फिर से विरोध प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया है। सड़क पर बैठे ग्रामीणों ने यहां एक पुराना शिलालेख भी लगा रखा है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में देवरी उप तहसील का शुभारम्भ करने का जिक्र है। इसी के आधार पर ग्रामीण नए तहसील का नाम देवरी बांग्ला करने की मांग कर रहे हैं।
वर्चुअल शुभारंभ के दौरान संयुक्त जिला कार्यालय के एनआईसी कक्ष में कलेक्टर कुलदीप शर्मा, जिला पंचायत सीईओ डाॅ. रेणुका श्रीवास्तव, जनपद पंचायत डौंडी लोहारा के अध्यक्ष जागृत सोनकर, डिप्टी कलेक्टर सुरेश साहू एवं अमित श्रीवास्तव आदि मौजूद थे। नई तहसील के नामकरण को लेकर देवरी व मार्री के ग्रामीणों में तकरार की वजह से प्रशासन की ओर से कोष्टक हटाकर देवरी को मार्री बंगला के बगल में करने दोबारा शासन को प्रस्ताव भेजा गया था।
संसदीय सचिव व विधायक ने दोनों गांव के प्रमुख लोगों को बैठा कर तय किया था, कि पूर्ण तहसील का नाम देवरी मार्री होगा। मुख्यमंत्री से भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान भी विवाद को देखते हुए पूर्ण तहसील की घोषणा रोक दी गई थी। मुख्यमंत्री के वर्चुअल उद्घाटन में देवरी बंगला की सरपंच को भी आमंत्रित नहीं किया गया। इससे भी ग्रामीणों में आक्रोश है।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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