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चिंगारपगार झरने में अचानक आई बाढ़: प्रकृति के साथ खिलवाड़ या किसी बड़े हादसे का इंतजार?

25/07/2023 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, Gariabandh, Tourism, Various, Vishesh Lekh    

वर्षा ऋतु में छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक छटा अत्यंत मनोहारी होती है और यह सभी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। सावन का महीना आते ही हरियाली की चादर से जैसे पूरा छत्तीसगढ़ आच्छादित हो जाता है, कहना पड़ेगा इंद्र देव की छत्तीसगढ़ पर विशेष कृपा है।  साथ ही यहाँ अनगिनत झरने बहने लगते है। कुछ चित्रकूट जलप्रपात के जैसे विशाल तो कुछ गजपल्ला जैसे बरसाती झरने। जो भी हो झरने हमेशा पर्यटकों को आकर्षित करते है।

केवल गरियाबंद जिले में ही 10 से अधिक झरने बहते है। जिसे देखने के लिए अच्छी खासी भीड़ उमड़ती है। विशेषकर सप्ताहांत में तो पर्यटकों की भीड़ से सड़को पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह सब देखने सुनने में अच्छा लगता है लेकिन ठहरिये हम छत्तीसगढ़ की बात कर रहे है। जहाँ पर पर्यटन क्षेत्र और पर्यटक तो है लेकिन मुलभूत सुविधाऐं कुछ नहीं है।

अभी हाल ही में बीते रविवार को गरियाबंद के चिंगरापगार झरने में अचानक बाढ़ आ गई थी। जिस समय बाढ़ आई थी उस समय हजारों की संख्या में पर्यटकों की भीड़ जमी हुई थी। जिससे झरने के थोड़ी दूर आगे बहने वाले नाले में दोनों किनारों पर लोग फंस गए। अचानक आए इस बाढ़ से लोग स्तब्ध थे। कुछ लोग पेड़ पर चढ़ गए तो कुछ लोग पानी के साथ बहने लग गए।

आनन फानन में पुलिस को फ़ोन करके बुलाया गया। तब जाकर लोगो का रेस्क्यू हो पाया। घने जंगल के बीच में फंसे लोगों को निकालने में रात के लगभग 9-10 बज गए। हालाँकि सभी को सकुशल बाहर निकाल लिया गया। इन पर्यटकों को जीवन भर का सबक मिल गया होगा।

सिर्फ चिंगरापगार झरने का ही नहीं बल्कि सभी पर्यटक स्थलों की यही स्थिति है। सरकार द्वारा भीड़ को काबू करने के लिए कोई पुलिस व्यवस्था नहीं, शौचालय नहीं, रेस्ट रूम नहीं, फर्स्ट ऐड नहीं। ठीक है प्रशासन जंगल के बीच सबकुछ की सुविधा नहीं दे सकते लेकिन कम से कम हाइवे पर तो चेक पॉइंट बनाया जा सकता है। जहाँ सारी मूलभूत सुविधा जैसे पुलिस व ट्रैफिक कंट्रोलर, आपातकालीन स्वास्थ्य सहायता आदि की व्यवस्था की जा सकती है।

साथ ही लोगों को भी जागरूक किया जाए कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ भारी पड़ सकता है। यहाँ लोग गाड़ियों में भर-भरकर बड़ी संख्या में आते है। जंगल में ही बोतल खोलकर पीने लग जाते है। फिर झरने में नहा रहे अन्य लोगों के साथ छेड़छाड़, हुल्लड़बाजी और हाथापाई करते है। क्योंकि उन्हें भी पता है पुलिस तो यहाँ आएगी नहीं। और पुलिस आएगी भी कैसे सभी मार्ग तो पहले से ही अवरुद्ध है।

पर्यटक भी काफी कचरा फेंक कर जाते है। यह प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं तो क्या है ? यह सब मिलकर किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहे है या सरकारी तंत्र किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है?

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
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