देश को ऑक्सीजन देने वाले छत्तीसगढ़ के जंगल जल रहे हैं। गर्मी में सुलगी आग को वनकर्मियों के आंदोलन ने और भड़का दिया है। अकेले गरियाबंद में ही 40 फीसदी जंगल को आग ने तबाह कर दिया है। इसमें पौधों से लेकर कीमती पेड़ तक शामिल हैं। इसका असर अब वन्यजीवों पर पड़ने लगा है। पर्यावरणविद् भी आगाह कर चुके हैं कि जल्द ध्यान नहीं दिया, तो परिणाम भयावह होंगे।
दरअसल, जिले के उदंति और सीतानदी अभयारण्य के 400 वनकर्मी अपनी मांगों को लेकर 10 दिन से हड़ताल पर हैं। वहीं अभयारण्य के इंदागांव, तौरेंगा, उत्तर उंदति के अलावा वन मण्डल के कई जंगलो में सप्ताह भर से भीषण आग लगी हुई है। इस आग के चलते बड़ी वन संपदा खतरे में है। पौधों के साथ कच्चे पेड़ के कीमती लठ्ठे और वन्य जीवों को भी आग ने अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है।
अफसर बेचैन, कर्मचारी बोले- मांगे पूरी होने तक डटे रहेंगे
जंगल में लगी इस आग से अफसर भी बेचैन है। वह सेटेलाइट से मॉनिटरिंग तो कर रह रहे हैं, वहीं सीमित संसाधन से आग पर काबू पाने का दावा भी। DFO मयंक अग्रवाल तो रात को फायर अलर्ट के बाद खुद ही आग बुझाने के लिए जंगल में निकल पड़े। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि मांग पूरी नहीं होने तक वह डटे रहेंगे। जंगल बचाने हैं तो मांगे माननी पड़ेगी।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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