छत्तीसगढ़ रीजनल साईस सेन्टर एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा 28 फरवरी 2021 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। ऑनलाईन प्लेटफार्म पर राष्ट्रीय वेबीनार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री उमेश पटेल शामिल हुए। वेबिनार में श्री पटेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी को पूरे देश में माडल परियोजना के रूप में स्वीकार किया गया है। उन्होंने इन योजनाओं में विज्ञान एवं तकनीक का उपयोग के लिए राज्य के वैज्ञानिकों विशेषकर युवा वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे और आय का जरिया मिलेगा। मंत्री श्री पटेल ने उपलब्ध तकनीकों का उपयोग मानव कल्याण के लिए करने हेतु प्रेरित किया।
महानिदेशक श्री मुदित कुमार सिंह ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के महत्व के बारे में बताया कि 28 फरवरी 1928 को महान भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर चन्द्रशेखर वेंकटरमन ने अपनी उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज रमन इफेक्ट, रमन प्रभाव को खोजा था। रमन प्रभाव और प्रोफेसर सी. वी. रमन की उपलब्धियों की स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए 1986 से भारत सरकार द्वारा 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। प्रतिवर्ष पूरे देश में सभी शैक्षणिक एवं रिसर्च संस्थानों द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन जनमानस विशेषकर युवा वर्ग को दैनिक जीवन में उपयोगी विज्ञान के महत्व का प्रचार-प्रसार, उनमें वैज्ञानिक जागरुकता एवं शोध को बढ़ावा देने के लिये मनाया जाता है।
अतिथि वक्ता डॉ. इरफाना बेगम ने कहा कि नवाचार पर जोर देते हुये मानव कल्याण के लिये किये जाने वाले शोध की प्रौद्योगिकी सस्ती होनी चाहिये ताकि वो जन-जन तक पहुंच सके, जैसे कि, हमारे प्राचीन वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडिसन एवं डॉ. सी.वी रमन आदि करते रहे हैं। वर्तमान समय में भी हमें हमारे आस-पास उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग हो, ऐसी प्रौद्योगिकी पर शोध करना होगा।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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