नगरीय प्रशासन और श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया शनिवार को आरंग विकाखण्ड के ग्राम फरफौद और घोंट (नरसिंगपुर) में आयोजित गुहा निषादराज जयंती और मड़ई मेला कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने इस मौके पर लगभग 77 लाख के विकास कार्यो का भूमिपूजन एवं लोकार्पण किया। इसमें ग्राम फरफौद में 52 लाख रुपये के विकास कार्य और ग्राम घोंट में 25 लाख के कार्यो का लोकार्पण एवं भूमिपूजन शामिल है। मंत्री डॉ. डहरिया ने इस मौके पर फरफौद में 10 लाख के सीसी रोड और घोंट में साहू समाज भवन के लिए 5 लाख रूपए स्वीकृत करने की घोषणा की।
मंत्री डॉ. डहरिया ने मड़ई मेला कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में कोई भगवान है तो वह अन्नदाता किसान है। किसान जब अपनी फसल को एकत्र कर कोठी में भर लेते है तो खुशी में गांव के देवी-देवता की पूजा करने के लिए मड़ई मेला का आयोजन किया जाता है। मड़ई मेला में ग्रामीण अपनी आवश्यकता के समान बर्तन, कपड़े, कृषि औजार आदि खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि मड़ई मेला छत्तीसगढ़ की संस्कृति है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सहेजने का काम कर रही है।
मंत्री डॉ. डहरिया ने गुहा निषादराज को भगवान श्री राम का सच्चा सेवक बताया। राज्य सरकार भगवान श्री राम के रास्ते पर चलकर सभी समाज के विकास के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने घोषणा पत्र में किए गए 36 वादों में से 24 पूरे कर लिए हैं। सरकार बनाते ही सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ किया, 2500 रूपए समर्थन मूल्य पर किसानों का धान खरीदा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार किसानों, गांव, गरीबो की सरकार है। गांव और किसान समृद्ध होगा तो प्रदेश और देश समृद्ध होगा।
लगभग 85 प्रतिशत बिजली उपभोक्ता 400 यूनिट तक बिजली जलाते है। इस बात को ध्यान में रखते हुए श्री भूपेश की सरकार ने चार सौ यूनिट तक बिजली का बिल हाफ किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जनपद पंचायत आरंग के अध्यक्ष श्री खिलेश देवांगन, नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष श्री चन्द्रशेखर चंद्राकर, श्री कोमल साहू, बड़ी संख्या में ग्रामीण एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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