साइंस एंड टेक्नोलॉजी क्विज़ में पूछे गए चौटजीपीटी, डीपफेक, विज्ञान दिवस की थीम इसरो के वर्तमान अध्यक्ष जैसे प्रश्न शासकीय स्वामी आत्मनानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय नारायणपुर के ग्रन्थालय विभाग और भौतिकी विभाग के द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 के अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विषय पर क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमे भाग लेने हेतु कुल 45 प्रतिभागियों ने पंजीयन करवाया था, क्विज में 37 प्रतिभागी शामिल हुए। इस अवसर पर महाविद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष श्री संजय कुमार पटेल ने बताया कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 की थीम विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियां है। यह दिवस हमारे देश के महान वैज्ञानिक सर सी. वी. रमन की खोज जो श्रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है कि स्मृति में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्र छात्राओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए नवाचारों से अवगत कराना तथा उनका सार्थक प्रयोग अपने शैक्षणिक कार्य एवं सामाजिक कल्याण के लिए करने हेतु जागरुक करने के उद्देश्य से किया गया। इस प्रतियोगिता में जागृति नेताम प्रथम,पुखराज समरथ एवं डिगलेश्वर द्वितीय तथा हितेश कुमार तथा वंदना कुमेटी ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया जिन्हें प्रमाण पत्र एवं नगद राशि से पुरस्कृत किया गया। इस क्विज प्रतियोगिता में चौटजीपीटी, दीपफेक, इसरो के वर्तमान अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 की थीम जैसे बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे गए। इस अवसर पर भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष श्री बी. डी. चांडक ने सर सी. वी. रमन के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह दिवस हमारे देश के महान वैज्ञानिकों की खोजो और उनकी उपलब्धियो को याद करने का दिन है। इस प्रतियोगिता का मूल्यांकन महाविद्यालय के अतिथि व्याख्याता डॉ. मीनाक्षी ठाकुर,श्री टीकाराम चौहान,श्रीमति बबिता सिंह,श्री हंसराज उइके तथा श्री नरोत्तम बाला के द्वारा किया गया किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त सहायक प्राध्यापक एवं अतिथि व्याख्याता उपस्थित रहे।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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