दिनांक : 04-May-2024 10:39 PM
Follow us : Youtube | Facebook | Twitter
Shadow

राजिम पुन्नी मेला : पद्मश्री डॉ. ममता चंद्राकर व स्वरगायक कुलेश्वर ताम्रकार की शानदार प्रस्तुति ने बांधा समां

01/03/2021 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh    

राजिम. महानदी, पैरी और सोंढुर नदी के संगमस्थल पर आयोजित राजिम माघी पुन्नी मेला के दूसरे दिन ख्यातिप्राप्त दिग्गज कलाकारों के द्वारा दी गई शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुति ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री डॉ. ममता चंद्रकार और लोककला मंच दुर्ग के कुलेश्वर ताम्रकार की टीम ने ऐसा समा बांधा की दर्शक झूम उठे। आकाशवाणी मंे अपनी प्रस्तुति दे चुके कलाकरों को अपने बीच पाकर दर्शक काफी उत्साहित थे।

सर्वप्रथम मंच पर दुर्ग के स्वरगायक कुलेश्वर ताम्रकार की टीम ने अपनी शुरूआत अरपा पैरी के धार, गणेश वंदना से की। कुलेश्वर ताम्रकार की सबसे प्रसिद्ध गीत लहर मारे बुन्दिया…जिन्दगी के नई हे ठिकाना लहरगंगा ले लेतेन जोड़ी…., कईसे दिखत हे आज उदास रे कजरी मोर मैना….. ये छत्तीसगढ़ी गीत ने अलग ही समा बांधा। टीम ने हाय डारा लोर गेहे रे…… इस गीत के अलावा कते जंगल कते झाड़ी कते बनमा ओ……गीत के माध्यम से धु्रव जाति में ममा फूफू में होने वाली लड़की-लडका के विवाह के संबंध को  व्यक्त किया। उसके बाद पंथी गीत तेहा बरत रईबे बाबा और फाग गीत गाकर मुख्यमंच को होली मय कर दिया। उनकी अंतिम प्रस्तुति ओम जय जगदीश….. थी।

मुख्य मंच पर दूसरे कार्यक्रम की कड़ी पद्मश्री डॉ. ममता चंद्रकार की टीम के द्वारा राजकीय गीत अरपा पैरी के धार…… गीत के साथ एक के बाद एक शानदार प्रस्तुति दी गई। टीम द्वारा नवदुर्गा भवानी तोरे शरण में हो….. इस भक्तिमय जसगीत ने पुरा माहौल भक्तिमय कर दिया। छत्तीसगढ़ की संस्कृति को उजाकर करती और अपनी परम्परा को बनाए रखने के लिए बिहाव गीत काकर घर मड़व गड़ाव…… नदिया तीर के पटवा भाजी..  राजिम के टुरा मन मट मट करथें…. गीत में छत्तीसगढ़ में होने वाले बिहाव के रीति-रिवाजांे का बहुत सुन्दर तरीके से वर्णन किया। कर्मा नृत्य में सा.. रिलो रे रिलो रे गेंदा फुल…. की मनमोहर प्रस्तुति दी गई। माते रहिबे माते रहिबे माते रहिबे अलबेला मोर… गीत को सुनकर तालियों की गूंज से पूरा परिसर झुम उठा। आदिवासियों की बोली-भाषा और उनके रहन-सहन को दर्शाता यह गीत ढोलक और मंजिरो की थाप पर कलाकारों की एक लय स्वर और ताल में नृत्य देख कर दर्शकों ने दांतो तले उंगली दबा ली।

प्रेम चंद्राकार के द्वारा भात रांधेव साग रांधेव…. तोर मया के मारे… इस गीत ने गॉव रहने वाले लोगों के संघर्ष को दिखाया गया। मंच पर कलाकारों ने मशाल लेकर बहुत की आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया। मोला कैसे लागे राजा मोला कैसे लागे जोड़ी मोला कैसे लागे ना… इसमें देवार संस्कृति को दर्शाया गया। ममता और प्रेम की युगल जोड़ी ने ददरिया प्रस्तृत किया जिसे छत्तीसगढ़ के गीतों का राजा कहा जाता है। मैं होंगेव दिवानी रे का मोहनी खवाये ना….. की प्रस्तृति ने लोगों को अंत तक बांधे रखा। इसके बाद गौरी-गौरा गीत की प्रस्तुति से दर्शक झूम उठे। कलाकारों को गरियाबंद जिले के कलेक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर, पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुखनंदन राठौर, अपर कलेक्टर जेआर चौरसिया एवं जनप्रतिनिधियों के द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

Author Profile

Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।