जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा जनपद के बड़े सीपत निवासी तृतीय लिंग समुदाय के नेहा उर्फ अशोक बंजारे का चयन छत्तीसगढ़ जिला पुलिस की आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुआ है। कलेक्टर यशवंत कुमार ने तृतीय लिंग समुदाय से जिले के पहले आरक्षक बनने पर साल श्रीफल से उन्हें सम्मानित किया और अपनी शुभकामनाएं दी।
कलेक्टर ने नेहा से कहा कि तृतीय लिंग वर्ग के अन्य सदस्यों को भी रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने तथा शासन की योजना के तहत कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ लेने के लिए प्रेरित करें। तृतीय लिंग वर्ग के सदस्यों के लिए जिला प्रशासन द्वारा स्वरोजगार व कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इच्छुक सदस्य इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
उप संचालक समाज कल्याण टी.पी. भावे ने बताया कि नेहा उर्फ अशोक बंजारे हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर है। तृतीय लिंग सशक्तिकरण योजना के तहत प्रतियोगी परीक्षा के लिए नेहा को रायपुर में निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराई गई। जिसके फलस्वरूप छत्तीसगढ़ जिला पुलिस बल आरक्षक भर्ती में नेहा को सफलता मिली। भर्ती परीक्षा का आयोजन राजनांदगांव जिले में हुआ।
परीक्षा में शामिल होने के लिए नेहा के आने जाने की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गई थी। नेहा ने कहा कि तृतीय लिंग वर्ग से जिले के पहले आरक्षक बनने पर उसे गर्व है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा तृतीय लिंग समुदाय के अन्य सदस्यों को शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि समाज कल्याण विभाग ने तृतीय लिंग समुदाय को मुख्य धारा में लाने के लिए निःशुल्क कोंचिंग की व्यवस्था की थी। तृतीय लिंग समुदाय के परीक्षार्थियों को प्रशासन एकेडमी में 30 दिन तक लिखित परीक्षा की तैयारी कराई गई थी। इसके पश्चात् राज्य संसाधन एवं पुनर्वास केन्द्र में 120 दिनों तक लिखित और फिजिकल टेस्ट की तैयारी विषय-विशेषज्ञों के माध्यम से कराई गई। यहां उनके निःशुल्क भोजन और ट्रैक सूट की भी व्यवस्था विभाग द्वारा की गई थी। तृतीय लिंग समुदाय ने सहयोग के लिए राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया है।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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