मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न अधोसंरचनाओं के लोकार्पण के दौरान विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई विभिन्न प्रसंस्करण इकाईयों का अवलोकन किया। उन्होंने इस मौके पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई इन प्रसंस्करण इकाईयों की सराहना की और इन इकाईयों को गौठानों में बनाए गए रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में स्थापित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
मुख्यमंत्री ने कृषि विज्ञान केन्द्र में मखाना प्रसंस्करण इकाई, बस्तर कॉफी, दाल प्रसंस्करण इकाई, मुर्रा प्रसंस्करण इकाई, खाद्य तेल प्रसंस्करण इकाई, धान, आटा एवँ मसाला प्रसंस्करण इकाई, भाजी एवँ फूलों से हर्बल कलर बनाने को यूनिट, तीखुर प्रसंस्करण, केले के तने से रेशा (फाइबर) बनाने की यूनिट पैकेजिंग मशीन का अवलोकन कर कृषि वैज्ञानिकों से आवश्यक जानकारी ली। कार्यक्रम में कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र शर्मा, शाकम्बरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री राम कुमार पटेल, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में लगाये गए धान की नवीन किस्मों जीराफूल, दुबराज, जवांफूल, विष्णुभोग के म्युटेंट फ़सलों, इस प्रकार विश्वविद्यालय सामुदायिक सीड बैंक फूड लैबोरेटरी सहित विभिन्न लैबोरेटरियों का अवलोकन किया। इस मौके पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस. के. पाटिल और कृषि वैज्ञानिकों ने मुख्यमंत्री को आवश्यक जानकारी दी।
मुख्यमंत्री इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित 8 नवीन फसल की प्रजातियों को लॉन्च किया। जिनमें धान की बौनी विष्णुभोग, बौनी सोनागाठी, छत्तीसगढ़ धान-1919, छत्तीसगढ़ तेजस्वी धान, मक्के की सी.जी. अगेती संकर मक्का, सोयाबीन की छत्तीसगढ़ सोयाबीन-1115, करायत की सी.जी. करायत-1 तथा गूसबेरी की सी.जी. केप गूसबेरी-1 प्रजातियां शामिल हैं।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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