
बस्तर में पर्यटन के जरिये स्थानीय लोगों को न सिर्फ रोजगार मिल रहा है, बल्कि वे पर्यावरण को बचाए रखने की मुहिम में भी शामिल हो रहे हैं। ऐसे ही कामों से जुड़े बस्तर के नौजवानों ने आज मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से कहा कि पर्यटकों के अपने खान-पान, रीति-रिवाज और कला-परंपराओं से परिचित कराते हुए उन्हें गर्व होता है।
बस्तर, सुकमा और बीजापुर जिलों में विकास कार्यों के लोकार्पण और भूमिपूजन कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने इन नौजवानों से बातचीत की। तिरखा बस्तर पर्यटन समूह में काम कर रही खीरमणि कश्यप ने बताया कि उनका समूह बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है।
समूह के सदस्य पर्यटकों को कैंपिंग के दौरान स्थानीय एवं पारंपरिक खाद्य और पेय जैसे चापड़ा चटनी, बासता, बोड़ा, मड़िया और पेज पिलाते हैं। पर्यटक इन पारंपरिक खाद्यों को बहुत पसंद करते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि आदिवासी-संस्कृति का प्रचार करके हमें गर्व महसूस होता है। उनका समूह पर्यटकों को कैंपिंग के साथ बोनफायर और ट्रैकिंग की भी सुविधा उपलब्ध कराता है। ट्रैकिंग के दौरान पर्यटकों को छोटे-छोटे जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की जानकारी दी जाती है।
उन्होंने कहा कि पर्यटक जब दुबारा बस्तर आने की बात कहते हैं तो उन्हें बहुत अच्छा लगाता है। खीरमणि ने बताया कि कैम्पिंग के दौरान पर्यटकों को रेस्ट हाउस के अलावा होम-स्टे की भी सुविधा दी जाती है, इस दौरान पर्यटकों को घर पर ठहराया जाता है। उन्हें स्थानीय व्यंजन परोसा जाता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा पूछे जाने पर खीरमणि ने बताया कि पर्यटकों को स्थानीय नृत्यों एवं त्यौहारों में भी शामिल किया जाता है। उन्हें प्रति व्यक्ति 700 रुपए तक की आय हो जाती है।
पर्यटन विकास समूह तीरथगढ़ के अध्यक्ष श्री प्रभाकर ने बताया कि उनके समूह में 50 सदस्य हैं जो पर्यटकों को सुरक्षित वातावरण में पार्किंग और ट्रैकिंग की सुविधा देकर रोजगार प्राप्त करते हैं। नवंबर माह में उनकी समिति का गठन हुआ था। मार्च तक 1 लाख 10 हजार से ज्यादा पर्यटक तीरथगढ़ आये, जिससे समिति को 18 लाख रुपए की आमदनी हुई। समूह के सदस्यों द्वारा ट्रैकिंग के दौरान पर्यटकों को खतरनाक स्थलों पर जाने से रोकने के साथ ही स्वच्छ-पर्यटन की सलाह दी जाती है। वे पर्यटकों को राष्ट्रीय उद्यानों के समीप स्थित मनोरम झरनों तक ले जाते हैं।
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा समूह को बॉटल-आर्ट का प्रशिक्षण भी दिया गया है। इसमें पर्यटकों द्वारा इस्तेमाल कर फेंक दी गई बोतलों का कलात्मक कृतियों के निर्माण में प्रयोग किया जाता है । ट्रैकिंग के दौरान फलों के बीज से निर्मित सीड-बॉल का उपयोग वृक्षारोपण में किया जा रहा है, जिससे भविष्य में जंगली जानवरों एवं स्थानीय निवासियों को जंगल में भी आसानी से फल उपलब्ध होंगे। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने युवाओं को पर्यटन विकास के लिए किए जा रहे कार्यों के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं, साथ ही उनके उज्ज्वल भविष्य की भी कामना की।
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- प्रियंका (Media Desk)
- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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