मुख्यमंत्री ने आज ‘‘छेरछेरा, छेर बरक दिन छेरछेरा, माई कोठी के धान ला हेरहेरा’’ कहते हुए जब कांकेर में पुराना बस स्टैण्ड से मस्जिद तक दुकानों और घरों में छेरछेरा का दान मांगा, तो लोगों ने टोकरी, सूपा और बोरी में भर-भरकर, मुख्यमंत्री को तुला में तौलकर उनके वजन के बराकर अन्नदान किये।
कांकेर के मुख्य मार्ग पर छेरछेरा मांग रहे मुख्यमंत्री का आत्मीय स्वागत करते हुए नागरिकों ने खुले मन से अन्न दान किये। लोगों ने फल, सब्जियां, छत्तीसगढ़ी व्यंजन भी दान में दिए। मुख्यमंत्री को छेरछेरा से प्राप्त अन्न का सुपोषण योजना के लिए और राशि का अस्पताल में उपयोग किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी लोगों को छेरछेरा पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नई फसल के घर आने की खुशी में महादान का यह उत्सव पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा पुन्नी तिहार के रूप में मनाया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छेरछेरा पुन्नी पर बच्चों, युवाओं, किसानों, मजदूरों और महिलाओं की टोली घर-घर जाकर छेरछेरा पुन्नी का दान मांगते हैं। इस पर्व में समानता का भाव प्रमुखता से उभर कर सामने आता है। धनी और गरीब व्यक्ति एक दूसरे के घर दान मांगने जाते हैं और दान में एकत्र धान, राशि और सामग्री गांवों में रचनात्मक कार्यों में लगाई जाती है।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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