दिनांक : 26-Apr-2024 04:59 AM
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विशेष लेख : छत्तीसगढ़ के  लोक तिहार: दान की महान संस्कृति का परिचायक ‘छेरछेरा’ (मां शाकंभरी जयंती )

विशेष लेख : छत्तीसगढ़ के लोक तिहार: दान की महान संस्कृति का परिचायक ‘छेरछेरा’ (मां शाकंभरी जयंती )

Chhattisgarh, Raipur
छेरछेरा पर्व पौष पूर्णिमा के दिन छत्तीसगढ़ में बड़े ही धूमधाम, हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे छेरछेरा पुन्नी या छेरछेरा तिहार  भी कहते हैं। इसे दान लेने-देने पर्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करने से घरों में धन धान्य की कोई कमी नहीं रहती। इस दिन छत्तीसगढ़ में बच्चे और बड़े, सभी घर-घर जाकर अन्न का दान ग्रहण करते हैं। युवा डंडा नृत्य करते हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन द्वारा बीते चार वर्षों के दौरान उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों के क्रम में स्थानीय तीज-त्यौहारों पर भी अब सार्वजनिक अवकाश दिए जाते हैं। इनमें छेरछेरा (मां शाकंभरी जयंती) तिहार भी शामिल है। जिन अन्य लोक पर्वों पर सार्वजनिक अवकाश दिए जाते हैं वे हैं हरेली, तीजा, मां कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस और छठ। अब राज्य में इन तीज-त्यौहारों को व्यापक स्तर पर मनाया जाता है, जिसमें शासन की...
कोण्डागांव: मनरेगा अंतर्गत छत्तीसगढ़िया सांस्कृतिक जागरूकता ,लोक पर्व छेर-छेरा एवं पुन्नी मना रहे हैं श्रमिक

कोण्डागांव: मनरेगा अंतर्गत छत्तीसगढ़िया सांस्कृतिक जागरूकता ,लोक पर्व छेर-छेरा एवं पुन्नी मना रहे हैं श्रमिक

Chhattisgarh, Kondagaon
जिले के जनपद पंचायत फरसगांव अंतर्गत ग्राम पंचायत बड़ेडोंगर में चल रहे मनरेगा कार्य समुदाय के लिए परती भूमि का विकास कार्य में संलग्न मनरेगा मजदूरों के द्वारा छेरिक-छेरा पर्व मनाया गया, जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति का एक प्रतीक है। यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा को याद दिलाता है उत्साह एवं उमंग से जुड़ा छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं।  वहीं गांव के युवक घर-घर जाकर डंडा नृत्य करते हैं लोक परंपरा के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष छेरछेरा का त्यौहार मनाया जाता है इस दिन सुबह से ही बच्च,े युवक व युवतियां हाथ में टोकरी, बोरी आदि लेकर घर-घर छेरछेरा मनाते हैं। वहीं युवाओं की टोली डंडा नृत्य कर घर-घर पहुंचती है धान मिसाई खत्म हो जाने के चलते गांव में घर-घर धा...
दान देने और लेने का पर्व छेरछेरा… जानिए क्यों मनाया जाता है दान का महापर्व छेरछेरा तिहार

दान देने और लेने का पर्व छेरछेरा… जानिए क्यों मनाया जाता है दान का महापर्व छेरछेरा तिहार

Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में पौस माह की पूर्णिमा तिथि को "छेरछेरा" का जो पर्व मनाया जाता है, वह अलग-अलग वर्ग के लोगों के द्वारा अलग-अलग मान्यताओं के अंतर्गत मनाया जाता है। यहां के मूल निवासी वर्ग के लोग, जो गोंडवाना या कहें, आदिवासी संस्कृति को जीते हैं, वे इसे पौस पूर्णिमा के अवसर पर गोटुल/घोटुल की शिक्षा में पारंगत हो जाने के पश्चात् तीन दिनों का पर्व मनाते हैं। जबकि यहां के मैदानी भाग में निवासरत अन्य सामान्यजन खरीफ की फसल की लुवाई-मिसाई के पश्चात उल्लास के रूप में एक दिन का दान पर्व के रूप में मनाते हैं। इन दोनों ही मान्यताओं से इतर मुझे अपने साधनाकाल में इसके आध्यात्मिक स्वरूप का जो ज्ञान प्राप्त हुआ, उसके अनुसार यह पर्व महादेव द्वारा विवाह के पूर्व देवी पार्वती से परीक्षा लेने के निमित्त,उनके घर जाकर भिक्षा मांगने के प्रतीक स्वरूप मनाया जाने वाला पर्व है। आप सभी को यह ज्ञात है कि पार्वती से ...
मुख्यमंत्री को दान में मिले अन्न का सुपोषण योजना में और प्राप्त राशि का अस्पताल में किया जाएगा उपयोग

मुख्यमंत्री को दान में मिले अन्न का सुपोषण योजना में और प्राप्त राशि का अस्पताल में किया जाएगा उपयोग

Chhattisgarh
मुख्यमंत्री ने आज ‘‘छेरछेरा, छेर बरक दिन छेरछेरा, माई कोठी के धान ला हेरहेरा’’ कहते हुए जब कांकेर में पुराना बस स्टैण्ड से मस्जिद तक दुकानों और घरों में छेरछेरा का दान मांगा, तो लोगों ने टोकरी, सूपा और बोरी में भर-भरकर, मुख्यमंत्री को तुला में तौलकर उनके वजन के बराकर अन्नदान किये। कांकेर के मुख्य मार्ग पर छेरछेरा मांग रहे मुख्यमंत्री का आत्मीय स्वागत करते हुए नागरिकों ने खुले मन से अन्न दान किये। लोगों ने फल, सब्जियां, छत्तीसगढ़ी व्यंजन भी दान में दिए। मुख्यमंत्री को छेरछेरा से प्राप्त अन्न का सुपोषण योजना के लिए और राशि का अस्पताल में उपयोग किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी लोगों को छेरछेरा पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नई फसल के घर आने की खुशी में महादान का यह उत्सव पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा पुन्नी तिहार के रूप में मनाया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छेरछेरा पुन्न...
कांकेर: महादान के लोक पर्व छेरछेरा पुन्नी पर मुख्यमंत्री निकले दान मांगने, मुख्यमंत्री को धान से तौला गया

कांकेर: महादान के लोक पर्व छेरछेरा पुन्नी पर मुख्यमंत्री निकले दान मांगने, मुख्यमंत्री को धान से तौला गया

Chhattisgarh
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक पर्व छेरछेरा पुन्नी पर्व परम्परा के अनुरूप आज सवेरे जिला मुख्यालय कांकेर के पुराने बस स्टेण्ड में मुख्य मार्ग की दुकानों और घरों में जाकर छेरछेरा पुन्नी का दान मांगा। महिलाओं ने तिलक लगाकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया और उन्हें चावल, लड्डू, फल भेंट किए। छेरछेरा पर्व पर मुख्यमंत्री को धान से तौला गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी लोगों को छेरछेरा पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नई फसल के घर आने की खुशी में महादान का यह उत्सव पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा पुन्नी तिहार के रूप में मनाया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छेरछेरा पुन्नी पर बच्चों, युवाओं, किसानों, मजदूरों और महिलाओं की टोली घर-घर जाकर छेरछेरा पुन्नी का दान मांगते हैं। इस पर्व में समानता का भाव प्रमुखता से उभर कर सामने आता है। धनी और गरीब व्यक्ति एक दूसरे के घर दान मांगने जाते...