छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी संघ ने छत्तीसगढ़ में सरकारी सेवकों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त किया है। संघ ने इसे प्रदेश के कर्मचारियों के हित में ऐतिहासिक फैसला बताया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज अपने बजट भाषण में राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की है। प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने उनकी मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की है।
छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी संघ के अध्यक्ष श्री बालमुकुन्द तम्बोली ने मुख्यमंत्री श्री बघेल को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा है कि प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री बघेल ने यह निर्णय लेकर अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया है। श्री तंबोली ने कहा है कि सरकारी सेवकों के हित में लिया गया यह फैसला कर्मचारियों को दूरगामी राहत प्रदान करने वाला कदम है।
उन्होंने कहा कि पेंशन सरकारी सेवकों के लिए बुढ़ापे का सहारा होती है। उन्हें पेंशन मिलने से उनके मन में भविष्य के प्रति सुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के पश्चात एक निश्चित पेंशन राशि प्राप्त होगी। साथ ही आश्रित परिवार को पेंशन का लाभ मिलेगा। इस घोषणा से कर्मचारियों के साथ-साथ उनके परिजनों में भी खुशहाली का माहौल है। इससे सरकारी अधिकारी और कर्मचारी अधिक उत्साह और समर्पण भाव से कार्य करेंगे और छत्तीसगढ़ के विकास में सहभागी बनेंगे।
छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी संघ के संरक्षक श्री जे एल दरियो, श्री उमेश मिश्रा, प्रधान संयोजक श्री संजीव तिवारी, महासचिव श्री आलोक देव, उपाध्यक्ष श्री पवन गुप्ता, श्री हीरा देवांगन ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा छत्तीसगढ़ के शासकीय सेवकों के परिवारों के लिए खुशी की सौगात लेकर आयी है। शासकीय कर्मचारी और उसके परिवारों की चिंता अब दूर हो गई है। इस घोषणा से शासकीय सेवकों और उनके परिजनों का भविष्य हमेशा के लिए सुरक्षित हो गया है।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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