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बस्तर : युवा सीख रहे आधुनिक तरीके से पारंपरिक गोदना कला

22/06/2022 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, India, Jagdalpur    

अपनी अनोखी परम्परा और रिवाज़ों के लिए बस्तर विश्वभर में प्रसिद्ध है। आदिवासी संस्कृति में जहां प्रकृति से जुड़ाव दिखता है वहीं उनकी संस्कृति में सृजनशीलता और सौंदर्यबोध की मौलिकता भी है। गोदना कला भी इन्ही में से एक है। गोदना आर्ट बस्तर की परम्परा और लोकजीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसा मान्यता है कि गोदना मृत्यु के बाद अपने पूर्वजों से संपर्क का माध्यम है। आधुनिकीकरण के तेजी से बदलते समय में बस्तर की पारंपरिक कला को बचाए रखने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा बस्तर के आसना में बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लेंग्वेज (बादल) की स्थापना भी की गई है, जहां बस्तर की गोदना कला को संरक्षित करने और स्थानीय युवाओं को गोदना के नए उभरते ट्रेंड्स से परिचित, प्रशिक्षित करने के लिए बादल में गोदना कला पर प्रदेश का पहला और अनूठा आयोजन हुआ।

जिला प्रशासन ने 20 मई से 6 जून तक आसना स्थित बादल एकेडमी में गोदना आर्ट वर्कशॉप का आयोजन किया, जहां पेशेवर गोदना विशेषज्ञों द्वारा बस्तर के युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया। वर्कशॉप में बस्तर के अलग-अलग ब्लॉक से आकर युवक-युवतियों ने गोदना का प्रशिक्षण लेने के साथ ही गोदना आर्ट की बारीकियों और विश्व में उभरते गोदना के ट्रेंड्स पर जानकारी ली। वर्कशॉप में बस्तर के परंपरागत गोदना आर्ट के सांस्कृतिक स्वरूप को बनाए रखते हुए उसे आधुनिक तरीके से बनाने की कला विशेषज्ञों ने बस्तर के युवाओं को सिखाया। बादल में आयोजित गोदना आर्ट वर्कशॉप में स्थानीय लोगों ने भी उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। वर्कशॉप में 400 से भी ज्यादा लोगों ने पारंपरिक गोदना आर्ट बनवाया। इस वर्कशॉप में विशेषज्ञ एवं प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए कलेक्टर रजत बंसल ने भी पारंपरिक गोदना करवाया।

गौरतलब है कि बस्तर में गोदना आर्ट के विभिन्न प्रकार हैं, यहां की जनजातियों के बीच गोदना को ‘बाना’ भी कहा जाता है। बाना अलग-अलग जनजातियों की पहचान को दर्शाता है। महिलाएं इसे सुंदरता बढ़ाने और बुरी शक्तियों से बचने का एक मजबूत माध्यम भी मानती हैं। बस्तर में मुरिया, धुरवा, भतरा, सुंडी, धाकड़ आदि जनजातियों के लोग प्रमुख रूप से गोदना बनवाते हैं। वे अपनी जनजाति के परंपरागत चिन्हों का अपने शरीर पर गोदना बनवाते हैं।

बस्तर के गोदना आर्ट को सहेजने की पहल

बस्तर के स्थानीय निवासी गोदना कलाओं को पीढ़ी दर पीढ़ी संरक्षित करते आ रहे हैं, लेकिन आधुनिकता के दौर में इनका दायरा कम हुआ है और नई पीढ़ी के युवाओं की रुचि भी कम हुई है। बस्तर में गोदना की पारंपरिक कला के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में बादल में गोदना आर्ट वर्कशॉप आयोजित किया गया। पुराने समय में पारंपरिक तरीके से बनाए गए गोदना में असहनीय दर्द होता था, जिसे कम करने के लिए ग्रामीण जड़ी-बूटियों एवं घरेलू साधनों का प्रयोग करते थे, लेकिन अब गोदना आसानी से रोटरी टैटू मशीन और कॉइल टैटू मशीन जैसे आधुनिक उपकरणों की सहायता से बनाया जा सकता है, गोदना विशेषज्ञों द्वारा इसी की ट्रेनिंग बस्तर के स्थानीय युवक-युवतियों को गोदना आर्ट वर्कशॉप में दी गई।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
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