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वीर बाल दिवस: 20 दिसंबर से लेकर 27 दिसंबर तक शहीदी सप्ताह, गुरु गोबिंद सिंह की पत्नी और साहिबजादों की शहादत

25/12/2022 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, Raipur    

सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे बेटे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी के शहीदी दिवस पर 26 दिसंबर को बाल वीर दिवस मनाना शुरू किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व पर सिखों के गुरु गोबिंद सिंह के दोनों छोटे बेटों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के बलिदान को याद करने के लिए हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी।

गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार की शहादत काफी बड़ी मानी जाती है। हर साल सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, 20 दिसंबर से लेकर 27 दिसंबर तक शहीदी सप्ताह मनाया जाता है। गुरुद्वारों और घरों में कीर्तन पाठ किया जाता है। बच्चों, युवाओं और सभी लोगों को गुरु साहिब के परिवार की शहादत के बारे में जानकारी दी जाती है।

गुरु गोबिंद सिंह की पत्नी और साहिबजादों की शहादत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दशम पातशाही गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर बड़ी घोषणा की थी। केंद्र सरकार ने हर साल 26 दिसंबर को माता गुजरी और दोनों साहिबजादों की शहादत की याद में वीर बाल दिवस मनाए जाने का ऐलान किया था। गुरु गोबिंद सिंह के उन दोनों साहबजादों- साहिबजादा जोरावर सिंह (9) और साहिबजादा फतेह सिंह (7) और माता गुजरी के बलिदान को याद करने के लिए वीर बाल दिवस मनाया जाता है। श्री गोबिंद सिंह के दोनों साहिबजादों और पत्नी ने दी थी शहादत।

जानें बलिदान का इतिहास

बात वर्ष 1705 की है। मुगलों ने गुरु गोबिंद सिंह जी से बदला लेने के लिए जब सरसा नदी पर हमला किया, तो गुरु जी का परिवार उनसे बिछड़ गया था। छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह और माता गुजरी अपने रसोइए गंगू के साथ उनके घर मोरिंडा चले गए। रात को जब गंगू ने माता गुजरी के पास मुहरें देखी, तो उसे लालच आ गया। उसने माता गुजरी और दोनों साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह को सरहिंद के नवाब वजीर खां के सिपाहियों से पकड़वा दिया।

वजीर खां ने छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह और माता गुजरी जी को पूस महीने की तेज सर्दी में ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया था। इस ठंडे बुर्ज से ही माता गुजरी जी ने छोटे साहिबजादों को लगातार तीन दिन धर्म की रक्षा के लिए शीश न झुकाने और धर्म न बदलने का पाठ पढ़ाया था। यही शिक्षा देकर माता गुजरी जी साहिबजादों को नवाब वजीर खान की कचहरी में भेजती रहीं। 7 और 9 साल से भी कम आयु के साहिबजादों ने न तो नवाब वजीर खां के आगे शीश झुकाया और न ही धर्म बदला। इससे गुस्साए वजीर खान ने 26 दिसंबर, 1705 को दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवार में चिनवा दिया था। जब छोटे साहिबजादों की कुर्बानी की सूचना माता गुजरी जी को ठंडे बुर्ज में मिली, तो उन्होंने भी शरीर त्याग दिया।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
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