मनरेगा का साथ मिला तो मेहनती महेश का जीवन बदल गया : मछली पालन के साथ साग-सब्जी उत्पादन कर लेते है दोहरा लाभ
मेहनती हाथों को जब किसी का सहारा मिल जाता है, तो वे जीवन बदलने का सपना भी आसानी से पूरा कर लेते है। मेहनती और अपने काम के प्रति दृढ़ विश्वासी महेश को जब मनरेगा का साथ मिला तो उनकी आमदनी बढ़ गई और जीवन को भी अपने सांचे में ढालने लग गया। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से हो रहे आजीविका संवर्धन के कार्यो ने कई परिवारों की जिंदगी बदल दी है। जीवन-यापन के साधनों को सशक्त कर इसने लोगों की आर्थिक उन्नति के द्वार खोले है। कोविड-19 से निपटनें एवं लागू देशव्यापी लॉक-डाउन के दौर में भी, महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित संसाधनों ने हितग्राहियों की आजीविका को अप्रभावित रखा है। नए संसाधनों ने उन्हे इस काबिल भी बना दिया है कि अब विपरीत परिस्थितियों में वे दूसरों की मदद कर रहे है।
लॉक-डाउन में जब लोग रोजी-रोटी की चिंता में घरों में बैठे हैं, तब गरियाबंद के सीमांत और मेहनती किसान श्री महेश निषाद अपनी डबरी से मछली निकालकर बाजारों में बेच रहे हैं। डबरी के आसपास की जमीन में उगाई गई सब्जियां उन्हें अतिरिक्त आमदनी दे रही हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण पैदा हुए विपरीत हालातों के बीच भी उनका 8 सदस्यों का परिवार आराम से गुजर-बसर कर रहा है। श्री महेश निषाद की इस बेफ्रिक्री का कारण मनरेगा के तहत उनके खेत में बना डबरी है। इस डबरी ने मछली पालन के रूप में कमाई का अतिरिक्त साधन देने के साथ ही बरसात में धान की फसल के बाद सब्जी की खेती को भी संभव बनाया है।
जिले के फिगेंश्वर विकासखंड अंतर्गत कोपरा गांव के किसान श्री महेश निषाद के खेत में निर्मित डबरी ने उनके जीवन की दशा और दिशा बदल दी है। जिला पंचायत द्वारा उनके आवेदन पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए वर्ष 2019 में 3 लाख 10 हजार रूपये के लागत से मनरेगा अंतर्गत 25 मीटर लंबी, 22 मीटर चौड़ी एवं 10 मीटर गहरी निजी डबरी खोदने की स्वीकृति दी। इस डबरी के निर्माण के दौरान श्री महेश निषाद के परिवार के साथ ही अन्य ग्रामीणों को भी कुल 1060 मानव दिवसों का सीधा रोजगार मिला। इससे वे खुद और उनकी पत्नी ने 25-25 दिन साथ -साथ काम करके 9 हजार 500 रूपए की मजदूरी प्राप्त की।
श्री महेश निषाद बताते है कि डबरी निर्माण के पहले वे धान की फसल के बाद मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन जब से डबरी निर्माण हुआ है, तब से धान की खेती के साथ मछली पालन भी कर रहे है। डबरी के आसपास चारों ओर सब्जी-भाजी तथा फलों के पेड़ भी लगाए हैं। पिछले एक वर्ष से वे मछली पालन और सब्जी बेचकर सालाना करीब 70 हजार रूपए की अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मनरेगा ने उनकी जिंदगी बदल दी है। डबरी ने उनकी आजीविका को स्थायी और सशक्त बनाया है। अभी डबरी के आसपास नमी वाली जगहों पर फल और सब्जियां उगा रहे है। यहां आम, जामुन, शीशम के पौधे एवं अरहर, गोभी, बैगन, तिल, टमाटर, मेथी, और बरबट्टी की सब्जी लगाया गया है। लॉक-डाउन में सब्जी की जो भी पैदावार हुई, उसे बाजार में बेचनें के साथ-साथ गांव के जरूरतमंद परिवारों को भी दिया है। उन्होंने इस डबरी निर्माण के लिए शासन का धन्यवाद ज्ञापित किया।
विशेष परियोजना ‘उत्थान’ अंतर्गत प्रशिक्षको का प्रशिक्षण
छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा उत्थान परियोजना अंतर्गत राज्य स्तरीय तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 14 से 16 जुलाई, 2021 तक आयोजित किया गया। जिला पंचायत के सभाकक्ष में प्रशिक्षण का समापन कलेक्टर श्री निलेशकुमार क्षीरसागर की उपस्थिति में संपन्न हुआ। समापन कार्यक्रम में जिला पंचायत सीईओ श्री संदीप अग्रवाल, नई दिल्ली से मुख्य प्रशिक्षक के रूप में डॉ. सीमा भास्करण, राष्ट्रीय मिशन प्रबंधक, एसआरएलएम के एलिस मनीषा लकड़ाए रीका शालिमा खाखा एवं जगजीत मिंज-प्रोग्राम एक्सीक्यूटीव उपस्थित थे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के 14 जिलो से सम्मिलित प्रतिभागी जिसमें यंग प्रोफेशनल, क्षेत्रीय समन्वयक एवं विकासखण्ड गरियाबंद एवं मैनपुर के कुल 11 आंतरिक सक्रिय महिला को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उत्थान परियोजना का मूल उदद्ेश्य विशेष पिछड़ी जनजातियों का आर्थिक व सामाजिक रूप से संवर्धन किया जाना है।
समापन कार्यक्रम में कलेक्टर श्री क्षीरसागर ने कहा कि जिलें में उत्थान परियोजना जिन ग्राम पंचायतों में लागू किया जा रहा है, उन ग्राम पंचायतों में जल मिशन कार्यक्रम को प्राथमिकता के साथ लागू किया जायेगा। बिहान का प्रमुख उद्देश्य आजीविका है जिससे महिलाओं को आर्थिक रूप से समृद्ध किया जा सकता है और सामाजिक रूप से पिछड़ी जनजातियों को समृद्ध किये जाने हेतु उत्थान परियोजना की शुरूआत बिहान के माध्यम से की जा रही है। उन्होंने जिलें में संचालित बिहान की गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए उत्थान परियोजना के क्रियान्वयन व उत्कृष्ट कार्य करने हेतु मार्गदर्शन दिया।
उन्होंने आगे बताया कि राजीव गांधी न्याय योजना अंतर्गत पारंपरिक कृषि के अतिरिक्त यदि कोदो, कुटकी, रागी की खेती करने पर 10 हजार की अनुदान राशि प्रति एकड़ दिये जाने का प्रावधान है, साथ ही विशेष पिछड़ी जनजाति परिवार के 12 वीं पास बच्चों को अतिथि शिक्षक के रूप में भर्ती करने में पूर्ण प्राथमिकता दी जावेगी। तीन दिवसीय प्रशिक्षण में मुख्य प्रशिक्षक डॉ. सीमा भास्करण, राष्ट्रीय मिशन प्रबंधक ने प्रथम दिवस में खाद्य एवं पोषण- उपलब्धता, पहंुच, स्त्रोत, पारंपरिक भोजन, पारंपरिक स्त्रोतों की हानि एवं पुनरूद्धार, संबंधित विषय पर विस्तृत जानकारी, कार्यवाही हेतु बिन्दु, मॉड्युल अंतर्गत की जाने वाली गतिविधियां, स्वास्थ्य-व्यवहार, परंपरागत,चलन, सेवाओ ं तक पहुचं ,अभिसरण, शिशु के प्रथम 1000 दिवस, ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस, पेयजल, स्वच्छता, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, टी.एच.आर. तक पहुंच, टीकाकरण एवं द्वितीय दिवस में हकदारी एवं आजीविका पर समूह का प्रस्तुतीकरण, आजीविका अंतर्गत प्रतिभागियों के व्यक्तिगत विचार एवं अनुभव साझा, एस.एम.आई.बी. एवं कम्युनिटी ऑपेरशन मैन्युल इत्यादि पर सभी प्रतिभगियों से चर्चा किया गया। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला कार्यालय से डीएमएम दुर्गाशंकर सोनी, डीपीएम गेब्रियल जॉन वाईक्लिफ एसएमआईबी, डीपीएम पतंजलि मिश्र, यंग प्रोफेशनल ओमप्रकाश एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
गरियाबंद : ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (महिला) के पद हेतु पात्र-अपात्र सूची जारी
स्वास्थ्य सेवायें रायपुर के द्वारा प्रशिक्षित मितानिन से ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (महिला) के पद पर सीधी भर्ती के पद पूर्ति हेतु छत्तीसगढ़ के निवासियों से आनलाईन आवेदन आमंत्रित की गई थी। तत्संबंध में इस कार्यालय द्वारा भर्ती प्रकिया के तहत 10 एवं 12 जुलाई 2021 को दस्तावेज सत्यापन कर पात्र/अपात्र अभ्यर्थी की सूची रोलनंबर अनुसार राज्य स्तर के विभागीय वेबसाईट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट सीजीहेल्थ डॉट एनआईसी डॉट इन www.cghealth.nic.in एवं जिले के वेबसाईट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट गरियाबंद डॉट जीओवी डॉट इन https://gariaband.gov.in/ में प्रकाशन कर दावा आपत्ति 19 जुलाई 2021 को सायं 5 बजे तक विभागीय ईमेल आई डी mitanindawaaapti2021gar@gmail.com पर ऑनलाईन आंमत्रित किया गया है । उक्त तिथि के पश्चात प्राप्त दावा आपत्ति पर विचार नहीं किया जावेगा।
प्राकृतिक आपदा के एक प्रकरण में चार लाख रूपये की सहायता राशि स्वीकृत
प्राकृतिक आपदा से मृत्यु के एक प्रकरण में मृतक के परिजन को कलेक्टर श्री निलेशकुमार क्षीरसागर द्वारा 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि स्वीकृत की गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार छुरा तहसील के ग्राम कोठीगांव निवासी 18 वर्षीय नंदनी नेताम की 20 सितम्बर 2020 को सर्पदंश से मृत्यु हो जाने के कारण मृतिका के निकटतम परिजन उनके पिता नंदलाल नेताम को 4 लाख रूपये की आर्थिक अनुदान सहायता राशि स्वीकृत की गई है।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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