दिनांक : 20-May-2024 12:59 AM
Follow us : Youtube | Facebook | Twitter
Shadow

रायपुर : होली में खुशियां बिखेरने महिलाएं तैयार कर रहीं हर्बल गुलाल

08/03/2022 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, India    

रंगों के पर्व होली में खुशियां बिखरने गुलाल का विशेष महत्व है। बाजार में जो गुलाल उपलब्ध होते हैं, उनमें रसायनों की मिलावट के कारण त्वचा पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ में  कई महिला स्व-सहायता समूह केमिकल रहित हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं। सुकमा जिले में भी महिलाओं ने इस साल हर्बल गुलाल से होली खुशनुमा बनाने की तैयारी कर ली है। पंचायत के माध्यम से ग्राम नागारास के कोट्टीगुड़ा के मुस्कान समूह की दीदीयों को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। इससे जिलेवासियों को रसायन रहित रंग उपलब्ध होने के साथ महिलाओं के लिए आय का नया रास्ता खुला है।

समूह कीे दीदीयों ने बताया कि वे पहले रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य जाती थीं। पंचायत विभाग की मदद से पहली बार घर पर रहकर वे हर्बल गुलाल बना रही हैं। उन्होंने गुलाल बनाने के लिए मक्के का आटा और प्राकृतिक खाने वाले रंगों का इस्तेमाल किया है। गुलाल में खुशबु के लिए वे सुगंधित बॉडी पाउडर और बादाम के तेल का उपयोग करती हैं। उनके द्वारा निर्मित गुलाल से स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। इसे बड़ों के साथ साथ बच्चे भी निश्चिन्त होकर प्रयोग में ला सकते है। इस गुलाल से जलन और त्वचा पर खुजली की परेशानी भी नहीं होती। उन्होंने बताया कि पहली बार होने के कारण कम मात्रा में गुलाल बना रहें है, मांग बढ़ने के अनुसार उत्पादन में भी वृद्धि करेंगे।
ग्रामीण आजिविका मिशन के जिला कार्यक्रम समन्वयक श्री महेन्द्र चौहान ने बताया कि मुस्कान समूह को पंखुड़ी संस्था के माध्यम से गुलाल बनाने से लेकर विक्रय तक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वेे लाल, हरा, पीला, नीला और गुलाबी रंगों के 2 क्विंटल गुलाल बना रहीं हैं। गुलाल को स्थानीय बाजार के साथ ही शबरी मार्ट में मात्र 30 रुपए में विक्रय किया जाएगा।

Author Profile

Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।