छत्तीसगढ़ में परम्परागत खेती-किसानी के साथ लोग अब आजीविका के नये क्षेत्रों में भी आगे बढ़ रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा भी नवाचारों को लगातार प्रोत्साहित करने के साथ अधिक से अधिक लोगों तक इसका लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। नवाचारों के दिशा में कदम बढ़ाते हुए जशपुर जिले के किसानों ने नाशपाती की खेती को बड़े पैमाने पर अपनाया है। यहां के बगीचा-सन्ना क्षेत्र के किसान बहुत अधिक मात्रा में इसकी खेती करते है। जिले के लगभग 17 सौ किसान नाशपाती का उत्पादन से जुड़े हैं। यहां 750 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 700 टन नाशपाती का उत्पादन होता है।
दीर्घवर्ती फसल के रूप में नाशपाती का उत्पादन कर किसान हर साल अच्छा मुनाफा कमाते हैं। दिल्ली,रांची जैसे बड़े शहरों के साथ उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में यहां के नाशपाती की मांग होने लगी है। इसका लाभ महिलाओं को प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा स्व-सहायता समूह की महिलाओं को इसके वैल्यू चेन मार्केटिंग से जोड़ा गया है।
इससे यहां की महिलाओं को न सिर्फ रोजगार का एक नया साधन उपलब्ध हुआ है बल्कि वे जशपुर के नाशपाती का स्वाद दूर दराज तक पहुंचाने में सहयोग कर रही हैं। इसी कड़ी में बगीचा तहसील की मां खुडिया रानी महिला कृषक उत्पादक संगठन से जुड़ी महिलाएं वैल्यू चेन मार्केटिंग के तहत् जिले में अधिक मात्रा में होने वाले नाशपाती को दूसरे राज्यों और जिलों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं। उनके द्वारा सन्ना के किसानों से 27 क्विंटल नाशपाती की खरीदी कर उसे पड़ोसी जिला रायगढ़ में विक्रय किया गया है।
समूह की महिलाओं ने बताया कि जशपुर जिले में वन सम्पदा की कोई कमी नहीं है। वह इससे अपनी आमदनी को बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने नाशपाती फल को सप्लाई कर इसकी शुरूआत की है। उन्होंने बताया कि उन्हें पहली बार में ही 7 हजार 500 रुपए का लाभ प्राप्त हुआ है। जिससे समूह की महिलाओं में काफी प्रसंन्नता व्याप्त है। वह इस कार्य को आगे बड़े पैमाने पर करने की तैयारी कर रही है जिससे उन्हें अत्यधिक लाभ हो सके।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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