संस्कृति विभाग द्वारा पारंपरिक कलाओं पर आयोजित प्रशिक्षण शिविर आकार-2023 में युवा, बच्चे और बुजुर्ग उत्साह के साथ प्रशिक्षण ले रहे हैं। प्रशिक्षण शिविर में 400 से अधिक प्रशिक्षणार्थी अलग-अलग विधाओं में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। प्रशिक्षण में अनाथ एवं दिव्यांग बच्चों को भी इन विधाओं में निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण से लोगों को स्व-रोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा।
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा पारंपरिक शिल्प और कलाओं के संरक्षण, प्रचार-प्रसार, जागरूकता तथा लोगों में इनके प्रति रूचि जागृत करने के उद्देश्य से हर वर्ष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष भी ‘पारंपरिक शिल्प एवं विविध कला प्रशिक्षण शिविर आकार-2023’ का आयोजन रायपुर के सिविल लाइन स्थित महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर में 01 मई से शुरू हुआ है। प्रशिक्षण कार्यक्रम 19 मई तक चलेगा।
संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विभाग द्वारा वर्ष 2005 से आकार प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रदेश के सभी संभागीय मुख्यालय में भी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें बच्चे, बुजुर्ग और युवा उत्साह के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया ‘आकार-2023’ में पंजीकृत प्रतिभागियों को म्यूरल आर्ट, पेपरमेसी, क्ले आर्ट, काष्ठ, बांस शिल्प एवं मूर्तिकला, चित्रकला, मधुबनी आर्ट, पटचित्र, धान ज्वेलरी, ड्राई फ्लावर, ग्लास पेंटिंग, गोदना आर्ट, पैरा आर्ट, टेराकोटा, रजवार भित्ती, क्लासिकल नृत्य, नाटक, फोक डांस, जूट शिल्प, मेहंदी आर्ट, गोबर आर्ट, वारली आर्ट, पिछवाई आर्ट, सेंड आर्ट, मंडला आर्ट, मांदना आर्ट, गोंड आर्ट, सौरा आर्ट, स्केच पेंटिंग, केनवाश पेंटिंग, बोनसाई आर्ट, वाद्य-यंत्र निर्माण एवं प्रशिक्षण जैसी विधाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण के बाद समापन दिवस प्रशिक्षुओं द्वारा निर्मित कलाकृतियों एवं सामग्रियों को परिसर में प्रदर्शित किये जाएंगे एवं प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए जाएंगे।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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