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रायपुर : सेकंड हैंड गाड़ियों का नाम ट्रांसफर अब परिवहन सुविधा केंद्र से, सिर्फ 100 रूपए अतिरिक्त लगेंगे

13/02/2023 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh    

छत्तीसगढ़ में सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीदी-बिक्री के लिए अब आरटीओ दफ्तर जाने की जरूरत नहीं होगी। परिवहन विभाग आज से आधार ऑथेंटिकेशन नाम से नई प्रक्रिया शुरू कर रहा है। इसके तहत गाड़ी को खरीद-बिक्री करने वाले अपने नजदीकी परिवहन सुविधा केंद्र जाएंगे और आसानी से नाम ट्रांसफर करा सकेंगे।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि नाम ट्रांसफर के खेल में दलालों की सक्रियता कम हो जाएगी। अभी जानकारी के अभाव में ज्यादातर लोग दलालों के चक्कर में फंसते हैं और दलाल मोटी रकम ऐंठते हैं। परिवहन अफसरों की मानें तो इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। इस नई व्यवस्था के शुरू होने से लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। अभी जितना पैसा नाम ट्रांसफर में लग रहा है, उसमें 100 रुपए अतिरिक्त परिवहन सुविधा केंद्र को देने होंगे।

परिवहन आयुक्त श्री दीपांशु काबरा ने बताया कि परिवहन विभाग द्वारा आधार ऑथेंटिकेशन नामक नई व्यवस्था आज से शुरू कर रहा है। इसके शुरू होने से सेकंड हैंड गाड़ी की खरीदी-बिक्री करने वालों को अब परिवहन सुविधा केंद्र के माध्यम से घर के पास सुविधा दी जाएगी।

आरटीओ के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में हर साल दो लाख से ज्यादा सेकंड हैंड गाड़ियां खरीदी और बेची जाती हैं, इन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट ट्रांसफर करना होता है। यह काम बेहद पेचीदा होता है। बता दें जब तक गाड़ी की ओनरशिप वाहन क्रेता अपने नाम ट्रांसफर नहीं करते, तब तक विधिक रूप से उस गाड़ी के मालिक नहीं कहे जाते हैं।

इसी तरह यदि आपने गाड़ी बेचा है और यदि उस गाड़ी से एक्सीडेंट या कोई अपराध घटित होता है तो आरसी बुक में दर्ज व्यक्ति के नाम से कार्यवाही होती है। यदि आप पुरानी कार या बाइक खरीद या बेच रहे हैं, तो उसके लिए रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करना जरूरी होता है। जिसके बाद गाड़ी ख़रीदने वाले के नाम से नया आरसी बुक बनता है। वर्तमान में इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है। फॉर्म भरने के पश्चात वाहन विक्रेता और क्रेता दोनों को ही आरटीओ ऑफिस जाना होता है। साथ ही गाड़ी को भी वेरिफिकेशन के लिए आरटीओ ऑफिस ले के जाना पड़ता है।

पुरानी गाड़ी बेचने के बाद नाम ट्रांसफ़र कराने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए परिवहन विभाग आधार ऑथेंटिकेशन शुरू कर रहा है।

नाम ट्रांसफर के पेचीदगी में सेकंड हैंड गाड़ी खरीदी-बिक्री करने के बाद इसके लिए आरटीओ में आवेदन करना होता है। इसके बाद क्रेता-विक्रेता को वाहन और उसके सभी दस्तावेजों के साथ परिवहन कार्यालय जाना पड़ता है। इस दौरान वह कार्यालय के चक्कर लगाने से बचने के लिए एजेंट का सहारा लेते हैं। एजेंट इस छोटे से काम के लिए उनसे मोटी रकम वसूल करते हैं। अब यह कार्य परिवहन सुविधा केंद्र के माध्यम से आधार ऑथेंटिकेशन के माध्यम से किया जा सकेगा। इस हेतु परिवहन सुविधा केंद्र संचालकों को शासकीय फ़ीस के अतिरिक्त 100 रूपए फ़ीस लेने अधिकृत किया गया है।

जानिए अब क्या रहेगा नया सिस्टम

प्रदेशभर में परिवहन विभाग ने 500 सुविधा केंद्र तो वहीं रायपुर जिले में करीब 50 सुविधा केंद्र खोले हैं। वर्तमान में यहां परिवहन संबंधित कामों के लिए ऑनलाइन फार्म भरने का काम किया जाता है। विभाग अब इन सेवा केंद्रों पर आधार ऑथेंटिकेशन शुरू कर रहा है। यहां क्रेता-विक्रेता को अपना आधार नंबर बताना होगा। सेवा केंद्र में बैठा कर्मचारी परिवहन विभाग के सॉफ्टवेयर में गाड़ी नंबर और मालिक के नाम की जांच करेगा। तत्पश्चात् परिवहन सुविधा केंद्र में आधार ऑथेंटिकेशन डिवाइस में वाहन क्रेता विक्रेता का फिंगर प्रिंट लिया जाएगा। अधिकारी का कहना है कि गाड़ी मालिक को कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े, इसलिए प्रक्रिया को सरल किया जा रहा है।

अभी इतनी है फीस

अभी कोई दफ्तर जाकर नाम ट्रांसफर कराने पर अलग अलग गाड़ियों का अलग-अलग चार्ज लगता है। टू व्हीलर गाड़ियों का 400 रुपए लगता है। लाइट मोटर व्हीकल का 550 रुपए और थ्री व्हीलर का 750 रुपए देना पड़ता है। लोग दलालों के चक्कर में पड़कर अतिरिक्त वसूल लेते हैं, लेकिन अब यही काम 100 रुपए देकर सेवा केंद्र से कराया जा सकेगा। इससे समय भी बचेगा और पैसे भी।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।