
पोषण पखवाड़े के अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आज यूनिसेफ के सहयोग से युवाओं में पोषण जागरूकता के लिए राज्य स्तरीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार के माध्यम से युवाओं को मिलेट्स के फायदे समझाते हुए उन्हें दैनिक जीवन में मिलेट्स को शामिल करने के लिए प्रेरित किया गया। वेबीनार से फेसबुक लाइव के माध्यम से नेहरू युवा केन्द्र, भारत स्काउट-गाइड, एनएसएस, यूनिसेफ सहित विभागीय अमले सहित बड़ी संख्या में युवाओं ने भाग लिया।
महिला एवं बाल विकास विभाग के नोडल अधिकारी श्री जी.एस.मरावी ने बताया कि 20 मार्च से महिला एवं बाल विकास द्वारा अन्य विभागों के सहयोग से पोषण पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इस दौरान लोगों में पोषण जाकरूकता और व्यवहार परिवर्तन के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। विभागीय अधिकारी श्रीमती श्रुति नेरकर ने कहा कि पहले पूर्वज श्री अन्न या मिलेट्स का प्रयोग करत थे। लेकिन बदलते समय में घरों में खानपान की शैली बहुत बदल गई है। मिलेट्स को फिर भोजन में शामिल कर पोषण के सभी फायदे लिये जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि महिला बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग कुपोषण से लंबे समय से लड़ाई कर रहा है। बच्चों, महिलाओं, किशोरियों को पोषण आहार और रेडी टू ईट प्रदान किया जा रहा है। लेकिन इसमें विभाग के साथ समाज के हर व्यक्ति की सहभागिता जरूरी है। पोषण संबंधित व्यवहार और खानपान परिवर्तन में युवा बड़ी भूमिका निभा सकते है। मिलेट्स से कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जा सकते हैं। युवा जंक फूड को छोड़कर पौष्टिक भोजन और स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें।
यूनिसेफ के न्यूट्रीशन विशेषज्ञ श्री महेन्द्र प्रजापति ने बताया कि मिलेट्स पचने में आसान होते हैं इसलिए बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक के लिए उपयोगी हैं। इसमें सारे पौष्टिक तत्व मिल जाते हैं। कम पानी और जमीन में अधिक उपज के कारण यह पर्यावरण के भी अनुकूल है। ये ज्यादा महंगे भी नहीं होते। उन्होंने बताया कि किशोरावस्था में वृद्धि और विकास तेजी से होता है। इस समय संतुलित आहार लेना जरूरी है। आजकल प्रोसेस्ड फूड के दुष्प्रभाव के कारण कुपोषण और मोटापा अधिक देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि 2016 से 18 के बीच किये गए न्यूट्रीशन सर्वे के अनुसार बड़ी संख्या में किशोर और किशोरियों में आयरन, विटामिन ए, डी और विटामिन बी-12 की कमी देखी गई। यह भी पाया गया है कि बड़ी संख्या में किशोर नमक, शक्कर और फैट रिच फूड लेते हैं। प्रोसेस्ड फूड या जंक फूड में कैलोरी बहुत ज्यादा होती है और प्रोटीन और फाइबर बहुत कम होते हैं। इसके कारण युवाओं को उचित पोषण नहीं मिल रहा है। मिलेट्स के माध्यम से युवा संतुलित आहार ले सकते हैं, इसमें सभी सूक्ष्म और बड़े पोषक तत्व मिल जाते है।
यूनिसेफ के विशेषज्ञ श्री अभिषेक सिंह ने युवाओं के लिए पोषण और मिलेट्स कोलोकप्रिय बनाने में युवाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन को प्रभावित करने के लिए लक्षित समूह को समझना और उनके मिथकों को दूर करना जरूरी है।
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- प्रियंका (Media Desk)
- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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