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जशपुरिया स्ट्राबेरी से महकेगा छत्तीसगढ़

02/02/2023 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh    

छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में स्ट्राबेरी की खेती लोकप्रिय होे रही है। अपने लजीज स्वाद और मेडिसिनल वेल्यू के कारण यह बड़े स्वाद के खाया जाता है। राज्य के जशपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर क्षेत्र में कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं। स्ट्राबेरी की मांग के कारण यह स्थानीय स्तर पर ही इसकी खपत हो रही है। इसकी खेती से मिलने वाले लाभ के कारण लगातार किसान आकर्षित हो रहे हैं। एक एकड़ खेत में इसकी खेती 4 से 5 लाख की आमदनी ली जा सकती है। जशपुर जिले में 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती की है। जशपुर में विंटर डान प्रजाति की स्ट्राबेरी के पौधे लगाए गए हैं। इन किसानों को उद्यानिकी विभाग की योजना राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत तकनीकी मार्गदर्शन और अन्य सहायता मिल रही है। किसानों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में होने वाली स्ट्राबेरी की गुणवत्ता अच्छी है और साथ ही स्थानीय स्तर पर उत्पादन होने के कारण व्यापारियों को ताजे फल मिल रहे हैं। जिसके कारण उन्हें अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।धान के मुकाबले 8 से 9 गुना फायदा
स्ट्राबेरी की खेती धान के मुकाबले कई गुना फायदे का सौदा है। जहां धान की खेती के लिए मिट्टी का उपजाऊपन के साथ साथ ज्यादा पानी और तापमान की जरूरत होती है वहीं स्ट्राबेरी के लिए सामान्य भूमि और सामान्य सिंचाइ में भी यह बोई जा सकती है। धान की खेती में जहां देख-रेख की ज्यादा जरूरत पड़ती है वहीं स्ट्राबेरी के लिए देख-रेख की कम जरूरत पड़ी है, सिर्फ इसके लिए ठंडे मौसम की जरूरत होती है। जहां धान से एक एकड़ में करीब 50 हजार की आमदनी ली जा सकती है वहीं स्ट्राबेरी की खेती में 3 से 4 लाख की आमदनी हो सकती है। इस प्रकार धान से 8-9 गुना आमदनी मिलती है। स्ट्राबेरी की खेती छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में ली जा सकती है। इसके लिए राज्य के अंबिकापुर, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर जशपुर का क्षेत्र उपयुक्त है।

जशपुर के किसान श्री धनेश्वर राम

ठंडे क्षेत्र खेती के लिए उपयुक्त
जशपुर में जलवायु की अनूकूलता को देखते हुए 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की फसल ली गई है। इन किसानांे ने अक्टूबर में स्ट्राबेरी के पौधे रोपे और दिंसबर में पौधे से फल आना शुरू हो गए। फल आते ही किसानों ने हरितक्राति आदिवासी सहकारी समिति के माध्यम से या स्वयं अच्छी पैकेजिंग की। पैकेजिंग के साथ कुछ समय में प्रतिसाद मिलना शुरू हो गए। जशपुर में 25 किसानों ने दो-दो हजार पौधे लगाए हैं। इससे हर किसान को अब तक करीब 40 से 70 हजार रूपए की आमदनी हो चुकी है। किसानों ने बताया कि स्ट्राबेरी के पौधों पर मार्च तक फल आएंगे, इससे करीब एक किसान को एक से डेढ़ लाख रूपए की आमदनी संभावित है। वहीं एक किसान से करीब 3000 किलो स्ट्राबेरी फल होने और सभी किसानों से कुल 75000 किलोग्राम स्ट्राबेरी के उत्पादन होने की संभावना है।

25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की फसल ली गई है
जमीन का उपजाऊ होना आवश्यक नहीं
जशपुर के किसान श्री धनेश्वर राम ने बताया कि पहले उनके पास कुछ जमीन थी जो अधिक उपजाऊ नहीं थी वह बंजर जैसी थी। मुश्किल से कुछ मा़त्रा में धान की फसल हो पाती थी। जब उन्हें विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन मिलने पर फलंों की खेती प्रारंभ की। नाबार्ड संस्था से सहयोग भी मिला। उन्हांेने 25 डिसमील़ के खेत में स्ट्राबेरी के 2000 पौधे का रोपण किया। तीन माह  में ही अच्छे फल आ गए हैं। मार्केट में इसकी उन्हें 400 रूपए प्रति किलो की कीमत मिल रही हैं। उन्हें अभी तक करीब 70 हजार रूपए की आय हो गई है। उन्हें राष्ट्रीय बागवानी मिशन से मल्चिंग और तकनीकी मदद मिली है।

25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की फसल ली गई है
सौंदर्य प्रसाधन और दवाईयों में उपयोग
स्ट्राबेरी का उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों में किया जाता है। आइस्क्रीम, जेम जेली, स्क्वैश आदि में स्ट्राबेरी फ्लेवर लोकप्रिय है। इसके अलावा इसका उपयोग पेस्ट्री, टोस्ट सहित बैकरी के विभिन्न उत्पादनों में किया जाता है। स्ट्राबेरी में एण्टी आक्सीडेंट होने के कारण इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों लिपिस्टिक फेसक्रीम के अलावा बच्चों की दवाईयों में फ्लेवर के लिए किया जाता है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती का असर: रविन्द्र चौबे कृषि मंत्री  
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की पहल का असर अब खेती किसानी में दिखने लगा है। खेती किसानी में मिल रहे इनपुट सब्सिडी का उपयोग किसान अन्य फसलों के लिए कर रहे हैं। किसान अब परम्परागत धान की खेती की जगह बागवानी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। किसानों के इस नवाचारी पहल की लिए बधाई और शुभकामनाएं।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।