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रायपुर की पदयात्रा पे निकले 58 गांवों के 3000 ग्रामीण लोग, नारायणपुर जिले में शामिल करने की मांग को लेकर राज्यपाल से मिलेंगे

21/10/2021 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, India    

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के 58 गांवों के 3 हजार से ज्यादा ग्रामीण हाथों में तिरंगा और महात्मा गांधी की फोटो लेकर राजधानी रायपुर के लिए पदयात्रा पर निकल गए हैं। ग्रामीणों की मांग है कि, कोलर इलाके के 58 गांवों को पड़ोसी नारायणपुर जिले में शामिल किया जाए। इससे पहले ग्रामीण 45 दिनों तक रावघाट मंदिर के पास धरने पर भी बैठे थे। लेकिन इनकी समस्याएं जानने के लिए कोई भी जिम्मेदार इन तक नहीं पहुंचा। अब ग्रामीण खुद अपनी मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात करने के लिए पैदल निकल गए हैं।

150 किमी का करना पड़ता है सफर तय
58 गांवों के ग्रामीणों का कहना है कि, हमें शासकीय कामों के लिए 150 किलोमीटर का सफर तय कर कांकेर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। आने-जाने में 1 से 2 दिन का समय लगता है। इस इलाके में पक्की सड़कें भी नहीं हैं। ऐसे में कई किलोमीटर पैदल सफर तय करते हैं। जबकि नारायणपुर जिला मुख्यालय की दूरी महज 20 किलोमीटर ही है। स्वास्थ्य सुविधाएं हो या फिर शिक्षा नारायणपुर जिले से ही लेते हैं। लेकिन शासकीय कार्यों के लिए मजबूरन कांकेर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। यही वजह है कि 58 गांवों को नारायणपुर में शामिल करने की मांग की जा रही है।

बुधवार की देर रात पैदल निकले ग्रामीणों को रोकने व रायपुर न जाने की समझाइश देने के लिए कांकेर के कलेक्टर चंदन कुमार व SP शलभ सिन्हा भी पहुंचे थे। लेकिन, ग्रामीणों ने इनकी एक न सुनी और भारत माता की जयकार के नारे लगाते आगे बढ़ते गए। वहीं भैसगांव, कोलर, तालाबेड़ा, बैंहासालेभाट, फूलपाड़ एंव बंडापाल क्षेत्र से कोसरोंडा, देवगांव, गवाडी, मातला- ब, अर्रा, मुल्ले व करमरी पंचायत के ग्रामीण इसमें शामिल है। ग्रामीणों का कहना है कि, अब राज्यपाल ही हमारी मांगे पूरी करेंगी। फिलहाल खबर लिखने तक ग्रामीण अंतागढ़ तक पहुंचे थे।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।