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गौठानों को अपने गांवों की पहचान बनाएं : मुख्यमंत्री की ग्रामवासियों से अपील

01/11/2021 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, India    

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के ग्रामीणों से गांव में निर्मित गौठानों को पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ-साथ स्वावलंबन एवं आय उत्पादक गतिविधियों के प्रमुख केन्द्र के रूप में विकसित कर उसे अपने गांव की पहचान बनाने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों के नाम जारी अपनी अपील में कहा है कि दीपावली के बाद हम गोवर्धन पूजा को गौठान दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। इसका कारण यह है कि गांव में गोधन को हम लक्ष्मी का स्वरूप मानते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन गोबर की पूजा करते हैं। गोबर हम सब के लिए दूध से ज्यादा महत्वपूर्ण है। गोबर से बनी खाद से हमारे खेत लहलहाते हैं और फसल उत्पादन बेहतर होता है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि गांव के विकास से ही राज्य का विकास होगा। छत्तीसगढ़ राज्य ने गांव-गांव में गोधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठानों का निर्माण होने से पशुधन अब हमारे लिए गोधन हो गए हैं। गौठान हमारे लिए समृद्धि और लक्ष्मी माता का मंदिर स्वरूप है। उन्होंने कहा है कि गौठानों का रख-रखाव, उसकी साफ-सफाई की जिम्मेदारी हम सबकी है। उन्होंने ग्रामीणों से गोधन के चारे की व्यवस्था के लिए गौठानों को पैरा दान करने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि गौठानों में गोबर खरीदी की जा रही है।

इससे वर्मी खाद का उत्पादन करके जैविक खेती को बढ़ावा देना और खेती की स्थिति में सुधार लाना है। गोबर से राज्य में बिजली बनाने का प्रयोग भी सफल हो चुका है। गौ माता की कृपा से अब रौशनी भी होगी। गौठानों में आय मूलक गतिविधियों और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वहां रूलर इण्डस्ट्रियल पार्क स्थापित किया जा रहा है। गौ-माता के आशीर्वाद से गौठानों में अब ग्रामीणों को वहां रोजगार मिलेगा। उन्होंने सभी लोगों से गौठानों को अपने गांव की पहचान बनाने, वहां चारागाह का निर्माण कर गांव को समृद्धि की ओर ले जाने की अपील की है।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।