मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास में गोवर्धन पूजा के दौरान राउत नाचा और सुआ नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति के दौरान नन्हीं लोक गायिका आरू साहू के सुमधुर गायन की सराहना की और कहा कि आरू ने बहुत पुराना गीत ‘चना के दार राजा, चना के दार रानी’ की खूबसूरत प्रस्तुति दी है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी गीतों के लालित्य और भाषा की मधुरता का उल्लेख करते हुए कहा कि आरु ने अपनी प्रस्तुति से पुराने भूले बिसरे छत्तीसगढ़ी गीतों की याद को ताजा कर दिया है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर देश के सुप्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी साहब को याद किया और कहा कि उन्होंने भी छत्तीसगढ़ी के ‘गोंदा फूल गे मोर राजा, गोंदा फूल गे मोर बैरी’ गाया था, जो काफी लोकप्रिय हुआ था।
परंपरा के मुताबिक मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल हर साल प्रदेश की मंगल कामना और शुभ के लिए तथा विघ्नों के नाश के लिए कुश से बने सोटे का प्रहार सहते हैं। आज भी ग्राम जंजगिरी में उन्होंने यह परंपरा निभाई। यहां के ग्रामीण श्री बीरेंद्र ठाकुर ने उन पर सोटे का प्रहार किया। इससंबंध में ग्रामीण बताते हैं कि यह प्राचीन परंपरा है कि इस तरह सोटे का प्रहार विघ्नों का नाश करने वाला है साथ ही सुख और समृद्धि लेकर आता है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ग्रामीणों से कहा कि हर साल श्री भरोसा ठाकुर प्रहार करते थे।
अब यह परंपरा उनके पुत्र श्री बीरेंद्र ठाकुर निभा रहे हैं। ग्रामीणों से चर्चा में उन्होंने कहा कि गोवर्धन पूजा गोवंश की समृद्धि की परंपरा की पूजा है जितना समृद्ध गोवंश होगा उतनी ही हमारी तरक्की होगी। इसी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में गोवर्धन पूजा इतनी लोकप्रिय होती है। लोग साल भर इसका इंतजार करते हैं एक तरह से यह पूजा गोवंश के प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक भी है। हर साल आप लोगों के बीच मैं सुबह-सुबह पहुंचता हूं और मुझे बहुत खुशी होती है। गोवर्धन पूजा लोक के उत्सव की परंपरा है। हमारे पूर्वजों ने बहुत सुंदर छोटी-छोटी परंपराओं का सृजन किया और इन परंपराओं के माध्यम से हमारे जीवन में उल्लास भरता है।
आज आप सबके बीच पहुंचकर और इस हर्षित जनसमूह को देखकर मेरा मन भी हर्ष से भर गया है। गोवर्धन पूजा और गौरा गौरी पूजा मिट्टी के प्रति गहरे अनुराग का उत्सव है। उल्लास से भरे आप लोगों के चेहरे देखकर अनुभव होता है कि हमारा प्रदेश सांस्कृतिक रूप से कितना समृद्ध है और हम इस सांस्कृतिक समृद्धि को किस तरह धरोहर के रूप में सहेजे हुए हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि अपनी माटी की अस्मिता को सहेजना उसका संवर्धन करना हम सब का कर्तव्य है। कितनी सुंदर परंपराएं हमारे छत्तीसगढ़ की है। इस बात की आशंका थी कि धीरे-धीरे यह परम्परायें कहीं विस्मृत न हो जाएं। ग्रामीणों से चर्चा में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने यह संकल्प लिया कि अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को अपनी व्यवस्था में शीर्षस्थ स्थान देंगे क्योंकि परंपरा से हमारा अस्तित्व भी है परंपरा से हमारे मूल्य भी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी ग्रामीण संस्कृति के पर्व कृषि को बढ़ावा देने वाले पर्व हैं।
पर्व के माध्यम से हम जमीन से जुड़ते हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर गौरा गौरी पूजा में भी भाग लिया तथा आए हुए लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इतना सुंदर पूजन और इसके पश्चात पर्व के उल्लास की अभिव्यक्ति आप लोग कर रहे हैं। आप लोगों के बीच आना मुझे हमेशा आनंदित करता है और मैं हमेशा इस अवसर का इंतजार करता हूं, इस अवसर पर मैं कामना करता हूं कि हमारा प्रदेश निरंतर तरक्की की राह पर आगे बढ़े। आपके जीवन में खुशियां आए। आपके लिए मैं मंगल कामनाएं करता हूं।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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