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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल : देश के निर्यात में छत्तीसगढ़ की अहम भागीदारी के लिए एयर कार्गाे की सुविधा जरूरी

21/09/2021 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, India    

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां राजधानी रायपुर में दो दिवसीय वाणिज्य उत्सव का  शुभारंभ करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक संसाधन एवं सभी खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। यहां उद्योग एवं व्यापार की असीम संभावनाएं विद्यमान है। छत्तीसगढ़ राज्य देश के निर्यात में अहम रोल अदा कर सकता है। लैण्डलॉक प्रदेश होने के नाते यहां के उत्पाद को बाहर भेजने के लिए एयर कार्गाे की सुविधा जरूरी है। हम भारत सरकार से एयर कार्गो की सुविधा के लिए लगातार आग्रह कर रहे हैं, ताकि यहां के उत्पाद को निर्यात करने में आसानी हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जल, जंगल, जमीन की कोई कमी नहीं है।

धान का कटोरा होने के साथ-साथ देश का 74 फीसद से अधिक वनोपज छत्तीसगढ़ में संग्रहित होता है। यहां प्रचुर मात्रा में वनौषधियां विद्यमान है। इनकी प्रोसेसिंग एवं वैल्यूएडिशन से उद्योग, व्यापार एवं निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। वाणिज्य उत्सव का यह दो दिवसीय कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत सरकार के विदेश व्यापार महानिदेशालय तथा छत्तीसगढ़ वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। इस आयोजन में वाणिज्य मंत्रालय से संबंधित शेफिक्सल कोलकाता, डीजीएफटी, सीएसआईडीसी कस्टम्स आदि सहभागी है। शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने की।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर देश की आजादी के लिए अपना सबकुछ कुर्बान करने वाले अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि देश के नव-निर्माण में देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का बड़ा योगदान रहा है। वर्ष 1955-56 में छत्तीसगढ़ में भिलाई स्टील प्लांट की स्थापना हुई। यह प्लांट छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहते है, यहां धान की हजारों प्रजातियां है। वनोपज का भरपूर उत्पादन एवं संग्रहण छत्तीसगढ़ में होता है।

आयरन ओर से लेकर टिन, अलेक्जेंड्राईट उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि व्यापार में मांग और पूर्ति का संतुलन जरूरी है। इसमें असंतुलन की स्थिति में नुकसान होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 70 के दशक में खाद्यान्न की मांग को पूरा करने के लिए हरित क्रांति की शुरूआत हुई। आज स्थिति यह है कि देश में दलहन, तिलहन को छोड़ दिया जाए, तो आवश्यकता से अधिक खाद्यान्न होने लगा है, यहीं वजह है कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
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