राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक ने कहा है कि सामाजिक तलाक किसी भी परिस्थिति में मान्य नही है। उन्होंने आयोग में सुनवाई के लिए आए एक प्रकरण में कहा कि आवेदिका अपने पति के नियोक्ता पंचायत विभाग को लिखित में लिखित में आवेदन कर मासिक वेतन से भरण पोषण प्राप्त कर सकती है। आयोग ने इस प्रकरण में विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा की है।
प्रकरण में आवेदिका ने पति के खिलाफ आयोग में शिकायत की थी कि शासकीय सेवा पुस्तिका में पत्नी के स्थान पर आवेदिका का नाम दर्ज होने के बाद भी पति द्वारा भरण पोषण नही दिया जा रहा है। आवेदिका के पति ने आयोग के समक्ष पत्नि को एकमुश्त राशि 21 हज़ार रुपये देने का आवेदन प्रस्तुत किया जिसे आयोग ने त्रुटिपूर्ण मानते हुए कहा कि अनावेदक शासकीय सेवा में है और आवेदिका को भरण-पोषण राशि देने से बचने की कोशिश करता प्रतीत हो रहा है। सामाजिक तलाक सिविल सेवा आचरण संहिता के खिलाफ है।
राज्य महिला आयोग की सुनवाई में सदस्यगण श्रीमती अनीता रावटे, सुश्री शशिकांता राठौर और श्रीमती अर्चना उपाध्याय शामिल हुए। सुनवाई में 20 प्रकरण रखे गए थे, जिनमें 8 प्रकरण नस्तीबद्ध किये जाने का निर्णय लिया गया।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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