कृषि, जल संसाधन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने राज्य के किसान भाईयों से फसल बीमा कराने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि शासन द्वारा निर्धारित किसानों के अंश दान के रूप में निर्धारित नाम मात्र प्रीमियम की राशि जमा कर बड़े जोखिम से बचा जा सकता है और स्थानीय प्राकृतिक प्रतिकूलता के चलते फसलों के हानि की भरपाई दावा राशि से काफी हद तक हो जाती है।
कृषि मंत्री ने किसानों के नाम जारी अपनी अपील में कहा है कि खरीफ फसलों के लिए आपको प्रीमियम राशि का मात्र 2 प्रतिशत और उद्यानिकी फसलों के लिए प्रीमियम राशि का मात्र 5 प्रतिशत अंशदान के रूप में देना होता है। किसान भाईयों छोटी सी राशि जमा कराकर बड़े जोखिम से बच सकते हैं। उन्होंने किसानों से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत धान सिंचित एंव असिंचित, अरहर, मूंग, उड़द, मक्का एवं उद्यानिकी फसलों का बीमा 31 जुलाई तक करा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा फसल बीमा योजना का सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने तथा समस्त गतिविधियों में त्वरित एवं सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के कारण भारत सरकार द्वारा किसान शिकायत निवारण पोर्टल (एफजीआर) का शुभारंभ प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किया गया है। किसान शिकायत निवारण पोर्टल में फसल बीमा से संबंधित शिकायत दर्ज कराने हेतु किसान भाईयों को टोल फ्री नंबर- 14447 पर कॉल करना होगा। कॉल करने के पश्चात् कृषक से शिकायत संबंधी जानकारी कॉल संपर्क केन्द्र द्वारा ली जाएगी। इसके पश्चात् शिकायत का विवरण संबंधित बीमा कंपनी को प्रेषित कर निर्धारित समय-सीमा में निराकरण करने हेतु निर्देशित किया जाएगा।
किसान शिकायत निवारण पोर्टल शुरू होने से किसानों को अब फसल बीमा संबंधी शिकायतों के लिए न तो किसी कार्यालय का चक्कर लगाने की जरूरत है, न ही किसी अधिकारी को आवेदन देना होगा। किसान भाई टोल फ्री नंबर 14447 पर कॉल कर अपना शिकायत दर्ज करा सकेंगे। शिकायत दर्ज कराने के पश्चात् किसान के मोबाईल नंबर पर शिकायत दर्ज कराने का संदेश, शिकायत क्रमांक सहित आयेगा, जिसके माध्यम से शिकायत पोर्टल पर शिकायत की वास्तविक स्थिति का पता ऑनलाईन लगाया जा सकता है। उन्होंने किसान भाईयों से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और मौसम आधारित उद्यानिकी फसल बीमा योजना का लाभ उठाने की अपील की है।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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