
मुख्यमंत्री महोदय का संबोधन आरंभ. झीरम घाटी की घटना को घटित हुए दस बरस हो गये। हर साल हम लोग झीरम के शहीदों को नमन करते है। जब भी 25 मई आता है हम सब का दिल भर जाता है। जो बच गए उन्होंने घटना को अपनी आंखों से देखा।
वे बताते थे कि घटना कितनी भयावह थी। इस घटना में शहीद हुए नेताओं ने परिवर्तन की बात कही थी। जिसका शुभारंभ सरगुजा से हुआ था । हमारे नेता कहते थे कि किसानों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं के जीवन में परिवर्तन लाना है। परिवर्तन का संकल्प लेने वाले हमारे सभी बड़े नेता हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने झीरम में अपनी शहादत दी है।
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- प्रियंका (Media Desk)
- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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