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छत्तीसगढ़िया ओलंपिक: साइंस कॉलेज मैदान में युवा परंपरागत खेलों का ले रहे आनंद

03/11/2022 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, Deals    

साइंस कॉलेज आने वाले युवाओं ने बताया की उनका बचपन इन खेलों को खेलते हुए बीता है। यहां पर आए बच्चे जैसे इन खेलों में रम से गए हैं। लोग पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किए जा रहे छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की सराहना भी कर रहे हैं। यहां आने वाले लोगों ने बताया कि देश-विदेश से आए आदिवासी नर्तक दलों के द्वारा किए जा रहे शानदार प्रस्तुति का आनंद लेने के साथ ही विभिन्न शासकीय विभागों में जाकर शासकीय योजनाओं और राज्य में हुई प्रगति की जानकारी भी हासिल कर रहे हैं। व्यायाम शिक्षक श्री ज्ञानचंद साहू ने बताया बच्चों और युवाओं को छत्तीसगढ़ी पारंपरिक खेल खेलने में आनंद आ रहा है। पारंपरिक खेलों की जानकारी देने के उद्देश्य से बनाए गए ग्राउंड में लोग काफी उत्साह के साथ इन  खेलों में भाग भी ले रहे हैं।

कॉलेज के छात्र आयुष साहू, आदिति साहू, आकाश एवं विकास ने पिट्टुल और  बिल्लस खेल में तो वहीं डॉक्टर दीक्षा मिश्रा एवं डॉक्टर पी. मिश्रा ने गेड़ी दौड़ में हाथ आजमाया। बीएसपी के कर्मचारी श्री बीएस दुग्गा ने कुशलतापूर्वक गेड़ी का संचालन किया। श्रीमती सुकतिंन दुग्गा, सुश्री निशी वैद्य सहित कई महिलाएं  बिल्लस खेल को बड़े उत्साह के साथ खेल रही थी। सभी ने  पारंपरिक  खेलों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किए जा रहे  छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की सराहना की।

उल्लेखनीय है की छत्तीसगढ़ में पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देेने के उद्देश्य के छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन किया जा रहा है। इस ओलंपिक में 14 खेलों को शामिल किया गया है। इसके तहत दलीय खेल में गिल्ली डंडा, पिट्टुल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी, बाटी (कंचा) और एकल खेल में बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मीटर दौड़ तथा लंबी कूद की प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की जा रही हैं।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।