दिनांक : 25-Apr-2024 06:09 AM
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सिरपुर: कभी ‘श्री’पुर था लेकिन अब केवल ‘पुर’ ही बचा है, जहाँ सुविधाएं शून्य है

सिरपुर: कभी ‘श्री’पुर था लेकिन अब केवल ‘पुर’ ही बचा है, जहाँ सुविधाएं शून्य है

Chhattisgarh, Mahasamund, Tourism, Various, Vishesh Lekh
नदियों के किनारे सभ्यता का जन्म हुआ और विकास भी हुआ। महानदी के किनारे जन्मे इस महान और विकसित सभ्यता का क्षेत्र सिरपुर जिसका नाम कभी श्रीपुर हुआ करता था। श्री माने महालक्ष्मी और सच में कभी माता महालक्ष्मी इस क्षेत्र में निवास करती थी और इस बात के साक्षात् प्रमाण है यहाँ की भव्य मंदिर जो अब खंडहरों में परिवर्तित हो चुके है। किन्तु उन भग्नावशेषों को देखकर अब यह अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल है कि सिरपुर कभी दक्षिण कौशल की न केवल राजधानी बल्कि औद्योगिक क्षेत्र हुआ करती थी। सिरपुर की प्राचीनता का सर्वप्रथम परिचय शरभपुरीय शासक प्रवरराज तथा महासुदेवराज के ताम्रपत्रों से उपलब्ध होता है जिनमें 'श्रीपुर' से भूमिदान दिया गया था । सोमवंशी शासकों के काल में सिरपुर दक्षिण कोसल का महत्वपूर्ण राजनैतिक एवं सांस्कृतिक केंन्द्र के रुप में प्रतिष्ठित हुआ । इस वंश के महाप्रतापी शासक महाशिवगुप्त बालार्जुन के 58...
विशेष लेख : अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर छत्तीसगढ़ का सिरपुर ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता के कारण है आकर्षण का केंद्र

विशेष लेख : अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर छत्तीसगढ़ का सिरपुर ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता के कारण है आकर्षण का केंद्र

Chhattisgarh, Mahasamund, Tourism
ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर आज भी यहाँ का दर्शनीय स्थान उत्खनन में यहाँ पर पाए गए हैं प्राचीन बौद्ध मठ सिरपुर महोत्सव में दिखती है कला व संस्कृति की अनोखी झलक रायपुर 06 फरवरी 2023 सिरपुर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में महानदी के तट स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। इस स्थान का प्राचीन नाम श्रीपुर है यह एक विशाल नगर हुआ करता था तथा यह दक्षिण कोशल की राजधानी थी। सोमवंशी नरेशों ने यहाँ पर राम मंदिर और लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया था। ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर आज भी यहाँ का दर्शनीय स्थान है। उत्खनन में यहाँ पर प्राचीन बौद्ध मठ भी पाये गये हैं। अंतराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर सिरपुर अपनी ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता के कारण आकर्षण का केंद्र हैं। यह पांचवी से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी। सिरपुर में सांस्कृतिक एंव वास्तुकौशल की कला ...
सिरपुर महोत्सवः तीन दिन रहेगी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम

सिरपुर महोत्सवः तीन दिन रहेगी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम

Chhattisgarh, Mahasamund
सिरपुर महोत्सव 5 से 7 फरवरी तक आयोजित होगा। तीनों दिन स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जायेंगे। सिरपुर महोत्सव में तीन तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहेगी। शुभारम्भ छत्तीसगढ़ खाद्य एवं संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत 5 फरवरी शाम को करेंगे। सिरपुर महोत्सव में तीनों दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा जो इस प्रकार है। कार्यक्रम प्रतिदिन दोपहर 12ः30 बजे से शुरू होकर रात्रि 10ः00 बजे तक होंगे। रविवार 5 फरवरी को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम इस प्रकार है। दोपहर 12.30 बजे से 01.00 तक दिनेश साहू एवं साथी भोरिंग महासमुन्द द्वारा छत्तीसगढ़ लोक गीत, दोपहर 01.00 बजे से 01.30 तक छत्तीसगढ़ संस्कृति व परम्परा नृत्य नाटिका एकलव्य आवासी आदर्श विद्यालय भोरिंग महासमुन्द द्वारा नृत्य नाटिका, दोपहर 01.30 बजे से 02.30 तक रंजीत चक्रधारी नाचा गम्मत पार्टी सरायपाली द्वारा कोमाखान नाचा...
विशेष लेख : छत्तीसगढ़ में सिरपुर महोत्सव का है विशेष महत्व

विशेष लेख : छत्तीसगढ़ में सिरपुर महोत्सव का है विशेष महत्व

Chhattisgarh, Mahasamund
छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों में महोत्सव व मड़ई-मेला का आयोजन  ख़ास पर्व व तिथियों में किया जाता है। लेकिन सिरपुर महोत्सव का भी विशेष महत्व है। प्रतिवर्ष यह महोत्सव महानदी तट पर माघ पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है। तीन दिवसीय सिरपुर महोत्सव 5 से 7 फ़रवरी 2023 तक आयोजित होगा। आस-पास गांव के लोग भोर के समय महानदी में स्नान कर गंधेश्वर नाथ मंदिर में पूजा अर्चना करते है। तीन दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ खाद्य एवं संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत 5 फ़रवरी को करेंगे। समापन 7 फ़रवरी को होगा। महोत्सव के तीनों दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा जिला स्तरीय रामायण मंडली प्रतियोगिता का भी आयोजन होगा। इसके साथ ही विभिन्न विभागों द्वारा विकास गतिविधियों और विभागीय योजनाओं पर आधारित प्रदर्शनी, स्व-सहायता समूहों द्वारा स्टॉल में बिक्री हेतु सजेंगे। वहीं बच्चों के लिए झूले-सर्कस अन्य रोमांचक गतिविधियां देखने मिलत...