विशेष लेख : मिलने लगा है गरीबों को आवास, सरकार के प्रति बढ़ रहा विश्वास : 86 हजार से अधिक आवास का हो चुका है निर्माण
कोई इंसान गरीब हो या अमीर, अपना खुद का एक घर हो यह सपना सबका होता है। सम्पन्न परिवार वाले अपना घर का सपना कभी भी पूरा कर लेते है, लेकिन गरीब और जरूरतमंद परिवार चाह कर भी अपना खुद का एक घर नहीं बना पाता। वह जैसे-तैसे कच्चे मकानों में जीवन गुजार देता है। परेशानियों से जूझता गरीब परिवार जब कच्चे मकान को पक्का मकान बनाने का सपना संजोता है और कुछ बचत कर रुपए जोड़ने की कोशिश करता है तो कच्चे मकानों में समस्याओं के बीच जूझते हुए उन्हें क्या-क्या मुसीबतें नहीं झेलनी पड़ती। कभी खपरैल छतों से बारिश के दिनों में पानी टपकता है तो कभी बारिश से मिट्टी की दीवारें दरकती है।
आखिरकार बारिश के साथ पक्के मकान का सपना भी ढ़ह जाता है। उनके द्वारा बचत कर जमा की गई कुछ राशि भी कच्चे मकान के मरम्मत में खर्च हो जाते हैं। गरीब परिवारों के ऐसे ही मुसीबतों से उबारने और उनके टूटते सपनों को सच करने का बीड़ा छत्तीसगढ़ की स...