दिनांक : 18-Apr-2024 11:36 AM
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जन्म से दोनों हाथ नहीं, फिर भी महापरीक्षा में कामयाबी हासिल,आज सफलता के शिखर पर पहुँचने को आतुर शांति

जन्म से दोनों हाथ नहीं, फिर भी महापरीक्षा में कामयाबी हासिल,आज सफलता के शिखर पर पहुँचने को आतुर शांति

Chhattisgarh, Vishesh Lekh
जन्म से विकलांगता से जूझने वाली  30 वर्षीय दिव्यांग शांति बाई ठाकुर के पास हौसले की कोई कमी नहीं है। महासमुंद सहित पूरे छत्तीसगढ़ में  पैर से लिखकर प्रौढ़  शिक्षार्थी के तौर पर मशहूर शांति की कहानी एक मिसाल बन गई है जो लाखों लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। शांति का जन्म महासमुंद ज़िले के बागबाहरा के दैहानीभाठा में हुआ। जन्म के समय ही इनके दोनों हाथ नही थे। बड़ा सवाल यह है छोटी उम्र में आत्महत्या विचार करने वालि शांति ने सफलता की कौन सी कुंजी खोज निकाली जो आम लोगों के पास नहीं है। विकलांग लोगों को व्हील चेयर देने या उनके लिए कोई इमारत बनाने से बदलाव नहीं आएगा, उन्हें भरोसा देने की जरूरत है कि आप भी कुछ कर सकते हैं। आज वह सफलता के शिखर पर पहुँचने को आतुर दिखाई दे रही है। कई बार सुना मंजिलें उनको मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान ...