दिनांक : 24-Apr-2024 08:01 AM
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Vishesh Lekh

एममबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में – एक सार्थक पहल

एममबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में – एक सार्थक पहल

Vishesh Lekh
एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में प्रारम्भ करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य बन रहा है। चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा हिंदी में प्रारम्भ करना निःसंदेह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था जिसे मध्यप्रदेश ने संभव कर दिखाया। तर्क-कुतर्क का दौर तो पहले भी चलता रहा है एवं आगे भी चलता रहेगा। किन्तु इस बार हिंदी कार्यान्वयन के लिये जिस इच्छाशक्ति का परिचय दिया गया उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है। यह तर्क कि उच्च स्तरीय शिक्षा मात्र अंग्रेजी में संभव है, पूर्णतः आधारहीन है। जर्मनी, फ्रांस, रूस, चीन में उच्च शिक्षण पहले से ही उनकी अपनी भाषा में है एवं ये राष्ट्र शिक्षण के साथ अनुसंधान में भी बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। इस संबंध में पर्याप्त शोध हो चुके हैं कि शिक्षण यदि मातृभाषा में हो तो बच्चे ज्यादा जल्दी सीखते हैं। चूंकि हिंदी हमारी संस्कृति के ज्यादा करीब है अतः हिंदी माध्यम में शिक्षण प्रारम्भ होने से उच्च...
कृषि प्रदर्शनी में मुख्य आकर्षण : ड्रोन से खाद तथा दवाईयों के छिड़काव की तकनीक

कृषि प्रदर्शनी में मुख्य आकर्षण : ड्रोन से खाद तथा दवाईयों के छिड़काव की तकनीक

Vishesh Lekh
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित पांच दिवसीय ‘‘एग्री कार्नीवाल 2022 अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई’’ के दौरान 14 से 17 अक्टूबर, 2022 तक फार्मटेक एशिया अन्तर्राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी एवं कृषक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें आधुनिक कृषि की नवीनतम प्राद्यौगिकी, नवाचारों एवं कृषकोपयोगी उत्पादों का प्रदर्शन एवं विक्रय किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण ड्रोन तकनीक से घुलनशील खाद, कीटनाशक एवं फफूंदनाशक छिड़काव का जीवंत प्रदर्शन है जिसकी कृषकों द्वारा बहुत सराहना की जा रही है। कृषि प्रदर्शनी एवं कृषक सम्मेलन में किसान पाठशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रति दिन लगभग 500 से अधिक किसानों की समस्याओं का समाधान वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है तथा पाठशाला के दौरान कृषकों को कृषि की आधुनिक प्रौद्योगिकी, तकनीकों, कृषि यंत्रों, उन्नत बीजों, खाद, उर्वरक, कृषि से संबंधित अन्य...
मिखाइल गोर्बाचेव के बहाने भिलाई : अरुण मिश्रा की कलम से

मिखाइल गोर्बाचेव के बहाने भिलाई : अरुण मिश्रा की कलम से

Bhilai, Vishesh Lekh
शायद 1984, सुबह के दस-साढ़े दस बजे का वक्त, भिलाई विद्यालय सेक्टर 2 का मुख्य द्वार जो भिलाई की मुख्य सड़क सेंट्रल एवेन्यू की तरफ खुलता है, वहां सैकड़ों बच्चों की भीड़, टिफिन टाइम समाप्त होने के बावजूद कोई भी स्कूल के अंदर जाने को तैयार नहीं। जब सारे प्रयास विफल हो गये तो शिक्षक खुद इस भीड़ में सम्मिलित हो गये। इस भीड़ में कहीं मैं भी था। भिलाई स्टील प्लांट का यह रजत जयंती वर्ष था। समारोह में सम्मिलित होने पूर्व सोवियत संघ के उप सभापति वी डिमशिट्स भिलाई आये हुये थे। उन्हें कई कार्यक्रमों में सम्मिलित होना था। भिलाई इस्पात संयंत्र सोवियत संघ के सहयोग से निर्मित था। सोवियत रूस (तब विघटन नहीं हुआ था) से कोई भी राष्ट्रप्रमुख भारत आये तो हम मान कर चलते थे कि उसे भिलाई तो आना ही है। यदि भिलाई आये तो फिर हमारे स्कूल भिलाई विद्यालय में तो आना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि सोवियत रूस के पूर्व राष्ट्रपति नि...
व्यंग्य लेख : टाटीबंध फ़्लाइओवर – अनंतकथा … अरुण मिश्रा की कलम

व्यंग्य लेख : टाटीबंध फ़्लाइओवर – अनंतकथा … अरुण मिश्रा की कलम

Vishesh Lekh
भिलाई एवं रायपुर के मध्य टाटीबंध में कोई नामालूम सा निर्माण कार्य आदिकाल से चल रहा है। विद्वान बताते हैं कि कोई फ़्लाइओवर बनाया जा रहा है। भिलाई-रायपुर के बुजुर्ग जो शतायु होने की कगार पर हैं, वो बताते हैं कि टाटीबंध में इस तरह का निर्माण कार्य उनके बाल्यकाल से चल रहा है। भविष्य में भी इसके अनंत काल तक चलने की संभावना है। तथाकथित इतिहासकार बताते हैं कि मौर्य एवं गुप्तकाल के प्राचीन शिलालेखों में भी टाटीबंध फ़्लाइओवर के निर्माण कार्य के जारी रखने का उल्लेख मिलता है। समस्त वामपंथी एवं दक्षिणपंथी इतिहासकार इस संबंध में एकमत हैं। वेदों-उपनिषदों में भी टाटीबंध फ़्लाइओवर का उल्लेख का मिलने की संभावना है, बस पर्याप्त शोध की आवश्यकता है। वर्तमान पीढ़ी ने टाटीबंध फ़्लाइओवर का केवल वर्तमान ही देखा है। उनका कहना है कि कई सरकारी इमारतें एवं पुल इस दौरान बने एवं ध्वस्त भी हो गये, उनकी जांच रिपोर्ट तक ...
विशेष लेख : हमारा तन : द्वारिका प्रसाद अग्रवाल की कलम से

विशेष लेख : हमारा तन : द्वारिका प्रसाद अग्रवाल की कलम से

Vishesh Lekh
बचपन से अब वृद्धावस्था तक खाते-पीते-जीते गुजर रहा है. पीछे मुड़ कर देखने का मन होता है कि आखिर कैसे गुजरा? ऐसा लगता है कि सब कुछ अपने-आप होता गया और मैं यहाँ तक पहुँच गया. जैसा मेरा पारिवारिक माहौल था, वैसे खाने-पीने की आदतें विकसित हुई. क्या खाने से फायदा है या खाने से नुकसान, इसे बचपन से अब तक सुनते चले आ रहा हूँ लेकिन सुनता भर हूँ, जो मन आता है या जो मिल जाता है, उसे खा लेता हूँ. उबला हुआ भोजन अरुचिकर लगता है, वहीँ पर तला हुआ भोजन या नमकीन या मिठाई देखकर खुद पर काबू पाना मेरे लिये दुष्कर है. आग्रह का कमजोर हूँ इसलिए कोई यदि प्रेम से अधिक खिलाता है तो मना नहीं कर पाता, क्या करूं? धार्मिक और संस्कारी परिवार में जन्म हुआ इसलिए बुरी आदतों की ओर आकर्षण कम ही बना लेकिन तम्बाखू खाना सीखा क्योंकि मेरे वरिष्ठ भी इनका उपयोग करते थे. बीड़ी-सिगरेट के धुएं की सार्वजनिक गंध जानता हूँ लेकिन व्यक्तिगत...
संपादकीय लेख : नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर अभिव्यक्ति

संपादकीय लेख : नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर अभिव्यक्ति

Vishesh Lekh
"मैं अकेला चलता गया, कारवां जुड़ता गया।" सुभाष बाबू, शातिर बहरूपिया और छलिया थे। अंग्रेजो को खूब छकाए, किसके लिए आपके और मेरे लिए पर इनकी जयंती या पुण्यतिथि पर कोई अवकाश नही, ना ही इनको भारत की मुद्रा में स्थान दिया गया। तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री इनको भारतीय समाज में फैला एक कैंसर मानते थे, जो सेना बना रहा था लोगो को आजादी के लिए युद्ध करो, राइफल चलाना आदि सीखा रहा था। कहते है कोलकाता की सड़कों पर २००० लोगो की एक छोटी सी सेना इन्होंने उतार दी थी। चर्चिल ने स्वयं कहा है कि भारत को आजादी चरखे से नही सुभाष बाबू के भारतीय ब्रिटिश फौज में विद्रोह के फैलाए कैंसर से मिली है। इनका जीवन संघर्ष : अकेले ही बिना व्यवस्था के पदयात्रा करके अफगान से जर्मनी फिर रूस, जापान आदि तक जाना हिटलर, मुसोलनी आदि नेताओ को मिलना, आजाद हिंद फौज का गठन करना। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही सच्...
विशेष लेख : व्यक्ति की अभिव्यक्ति – द्वारिका प्रसाद अग्रवाल 

विशेष लेख : व्यक्ति की अभिव्यक्ति – द्वारिका प्रसाद अग्रवाल 

Vishesh Lekh
अभिव्यक्ति तीन तरीके होते हैं, ध्वनि, लिपि और संकेत. मनुष्य स्वयं को इन विधियों से अपनी बात संप्रेषित करता है. अभिव्यक्ति में सर्वाधिक उपयोग ध्वनि का होता है. ध्वनि के उपयोग में मनुष्य के भाव का महत्व होता है. जैसा भाव होगा, वैसी ध्वनि निकलेगी. वक्ता के मन में यदि आदर का भाव है तो उसकी वाणी में लोच होगा और यदि अपमान का भाव है तो तीखापन. सहज समझाने का भाव होगा तो भाषा तरल होगी और जबरदस्ती समझाने का भाव होगा तो दबावपूर्ण शब्द निकलेंगे. मनुष्य अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग मनस्थिति में रहता है. मान लीजिए, किसी वक्त वह किसी बात से क्रोधित है और वह जोर से बोल रहा है, अपशब्दों का प्रयोग कर रहा है तो उस व्यक्ति की बातें सुनकर यदि हम यह धारणा बना लेते हैं कि अमुक व्यक्ति क्रोधी 'स्वभाव' का है तो यह उसके व्यक्तित्व का समुचित मूल्यांकन नहीं होगा. हो सकता कि वह व्यक्ति अमूमन शांत स्वभाव का हो, ...
भिलाई : चैतन्य देवियों की झांकी देखने बड़ी संख्या में चिकित्सा जगत से जुड़े डॉक्टर्स सहपरिवार पहुंचे

भिलाई : चैतन्य देवियों की झांकी देखने बड़ी संख्या में चिकित्सा जगत से जुड़े डॉक्टर्स सहपरिवार पहुंचे

Chhattisgarh, Vishesh Lekh
3 अक्टूबर 2022,भिलाई:- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव एवं नवरात्रि के पावन अवसर पर आयोजित सेक्टर 7 स्थित पीस ऑडिटोरियम ग्राउंड में नारी शक्ति सम्मान एवं देशभक्ति पर आयोजित चैतन्य देवियों की झांकी को देखने के लिए आज बड़ी संख्या में चिकित्सा जगत से जुड़े डॉक्टर्स सहपरिवार पहुंचे | डॉक्टर प्रकाश वाकोडे, शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज के डीन ने कहा कि यह चैतन्य देवियों की झांकी शारीरिक एवं मानसिक चेतना जागृति के लिए आवश्यक है, आज के युग में जहां बच्चे और समाज सोशल मीडिया में लगे हुए हैं यह झांकी गांधी जी के विचारों को जनमानस और आंतरिक परिवर्तन करने के लिए आवश्यक है | डॉक्टर शिवेंद्र श्रीवास्तव ने कहा की रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़कर इस झांकी को दिखाया गया है कि इसमें देश भक्ति, नारी सम्मान को अकल्पनीय रूप से प्रस्तुत किया गया है | यह झांकी भिलाई के लि...
Broom Tips: झाड़ू पर गलती से लग जाए पैर तो तुरंत करें ये काम, वरना घर में कंगाली आने में नहीं लगेगी जरा भी देर!

Broom Tips: झाड़ू पर गलती से लग जाए पैर तो तुरंत करें ये काम, वरना घर में कंगाली आने में नहीं लगेगी जरा भी देर!

Vishesh Lekh
घर की साफ-सफाई के लिए हर घर में झाड़ू का इस्तेमाल किया जाता है. हिंदू धर्म में झाड़ू को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में झाड़ू से जुड़ी कई मान्यताओं के बारे में बताया गया है. अगर इन बातों को जरा भी नजरअंदाज किया जाए, तो व्यक्ति को गरीब या कंगाल होने में जरा देर नहीं लगेगी.  झाड़ू को खरीदने के दिन से लेकर पुरानी झाड़ू के साथ क्या किया जाए, कहां रखा जाए आदि बातों को ध्यान में रखने से व्यक्ति को धनवान बनने में भी देर नहीं लगेगी. आज हम जानेंगे, अगर गलती से भी झाड़ू पर पैर लग जाए, तो क्या करना चाहिए. वास्तु शास्त्र में झाड़ू को लेकर कई नियमों के बारे में बात की गई है. कई बार जाने-अनजाने में व्यक्ति से झाड़ू पर पैर लग जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसे में क्या करें. झाड़ू पर पैर लगना मां लक्ष्मी का अपमान है. इस वजह से व्यक्ति को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ स...
शिवरीनारायण में भी राम वन गमन पथ परियोजना का काम पूरा, मुख्यमंत्री 10 अप्रैल को लोकार्पण करेंगे

शिवरीनारायण में भी राम वन गमन पथ परियोजना का काम पूरा, मुख्यमंत्री 10 अप्रैल को लोकार्पण करेंगे

Chhattisgarh, Vishesh Lekh
छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी राम वन गमन पथ परियोजना के तहत चंदखुरी के बाद अब शिवरीनारायण में भी विकास कार्य पूरा हो गया है। इन विकास कार्यों का लोकार्पण 8 अप्रैल से शुरू हो रहे लोकार्पण समारोह के अंतिम दिन 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा किया जाएगा। शिवरीनारायण राम वन गमन पथ परियोजना के पहले चरण में चिन्हित उन स्थानों में शामिल है, जिन्हें पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक और प्राकृतिक धरोहरों के साथ ही गौरवशाली प्राचीन लोक संस्कृति का भी अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। छत्तीसगढ़ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का ननिहाल और उनकी कर्मभूमि भी है। 14 वर्षों के कठिन वनवास काल में श्रीराम ने अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में व्यतीत किया था।माता कौशल्या की जन्म भूमि होने के कारण छत्तीसगढ़ में श्री राम को भांजे के रूप में पूज...