दिनांक : 25-Apr-2024 10:54 AM
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Vishesh Lekh

रायपुर : कच्चा घर था तो बेटियों की शादी में दिक्कत आ रही थी, मकान बन गया तो हाथ भी पीले हो गये

रायपुर : कच्चा घर था तो बेटियों की शादी में दिक्कत आ रही थी, मकान बन गया तो हाथ भी पीले हो गये

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टायलेट एक प्रेम कथा फिल्म में टायलेट के नहीं होने की वजह से एक परिवार की खुशियां बिखरने के कगार पर आ गई थीं लेकिन जब टायलेट बन गया तो घर बिखरने से बच गया। सरकारी योजनाओं के तहत जिन्हें मकान बनाने में सहायता दी गई, सबकी ऐसी ही कुछ न कुछ कहानियां हैं और सभी कहानियों का अंत बहुत सुखद है। कच्ची झोपड़ियों में उनके सपने भी सिसक रहे थे। आवास बन गया तो सपने भी पूरे हो गये। भिलाई की कुरूद बस्ती के वार्ड क्रमांक 16 में कतार से पीएम आवास के घर नजर आते हैं। सारे घर हाल-फिलहाल में तैयार हुए हैं। द्रौपदी साहू का किस्सा लें। उनकी चार बेटियां थीं, कच्चा घर था। रिश्ता बनता था लेकिन जब लड़के वाले घर की स्थिति देखते थे तो पीछे हट जाते थे। जब ऐसा ही हुआ तो निर्णय लिया कि पीएम आवास के लिए सरकार सहायता दे रही है यह बन जाएगा तो ही रिश्ते के लिए आगे बात करेंगे। घर बन गया और शादी भी तय हो गई। दामाद कैसा मिला ह...
विशेष लेख: समझदार पालक बनें – सशक्त भविष्य गढ़ें : रीनू ठाकुर

विशेष लेख: समझदार पालक बनें – सशक्त भविष्य गढ़ें : रीनू ठाकुर

Vishesh Lekh
तेजी से बदलते सामाजिक परिदृश्य में पालक भी अपने बच्चों के समुचित विकास के लिए हर कदम उठाने को तैयार रहते हैं, लेकिन बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए एक विशिष्ट सोच अपनाने की भी जरूरत पालकों को है। इसके लिए पालकों को बच्चों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, समझदारी से बच्चों से साथ संव्यवहार और सजगतापूर्वक उनका सहभागी बनने की जरूरत है। आजकल की शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक व योजनाबद्ध तरीके से पालकों को बच्चों के प्रति जागरूक बनाने के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था का समावेश नहीं है। कई बार पालकों के असंतुलित व्यवहार से बच्चों के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे अनजाने में भी बच्चों के अधिकारों का हनन हो जाता है। सही देखरेख के अभाव में बच्चों के शोषण और अधिकारों से वंचित रह जाने की प्रबल संभावना रहती है। पालक सावधानी व समझदारी से अपने बच्चे का भविष्य संवार सकते हैं। बच्चे कल के भविष्य होते ...
काला अक्षर इंसान बराबर….. : अतुल मलिकराम (समाजसेवी)

काला अक्षर इंसान बराबर….. : अतुल मलिकराम (समाजसेवी)

Vishesh Lekh
कल शाम खुद के साथ समय बीता रहा था, तो मन में ख्याल मुहावरों के आने लगे, जिनका उपयोग हम इंसान अक्सर अपनी बात का वजन बढ़ाने के लिए किया करते हैं। एकाएक ही मन अलग दिशा में चला गया कि इंसान अपनी बात को मजबूत करने के लिए बेज़ुबान तक को भी नहीं छोड़ता है। ऐसे हजारों मुहावरे भरे पड़े हैं, जिन्हें बोलते समय इन निर्दोषों को हम क्या कुछ नहीं कह जाते हैं। और आज से नहीं, कई वर्षों से ही कहते चले आ रहे हैं। फिर मन में एक टीस उठी कि जिन जानवरों की आँखों में से कई दफा आँसू छलक पड़ते हैं, तो उन्हें ठेस भी तो पहुँचती ही होगी न, बोल नहीं सकते हैं तो क्या, भावना तो उनमें भी हैं न..... एक जानवर, जिस पर हम दिन भर में एक बार तो टिप्पणी कर ही डालते हैं, वह है भैंस। जिसकी लाठी, उसकी भैंस; अक्ल बड़ी या भैंस; गई भैंस पानी में; भैंस के आगे बीन बजाना; काला अक्षर भैंस बराबर और भी न जाने क्या-क्या। ताकत से अपना काम बना ले...
राजा प्रवीर चंद्र भंज देव: छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का वो मसीहा जो राजनीति की भेट चढ़ गया – II

राजा प्रवीर चंद्र भंज देव: छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का वो मसीहा जो राजनीति की भेट चढ़ गया – II

Chhattisgarh, Tribal Area News and Welfare, Vishesh Lekh
राजा प्रवीर चंद्र भंजदेव ने आदिवासियों के हक के लिए संघर्ष किया। वे आजाद भारत से बहुत उम्मीद रखने वाले रौशनख्याल राजा थे। उन्हें लगता था कि आजाद भारत में आदिवासियों का शोषण अंग्रेजों की तरह नहीं होगा। वे मानते थे कि आदिवासियों को उनकी जमीन पर बहाल करना अब आसान होगा। साथ ही आदिवासियों को भी विकास की प्रक्रिया का हिस्सा बनने का अवसर प्राप्त होगा। एक तरह से वे आजादी को बस्तर के पूर्ण विकास के लिए एक बेहतरीन अवसर के रूप में देखते थे। नए रंग और देश की आजादी व रियासतों के विलय से बस्तर नरेश और काकतीय वंश के अंतिम राजा प्रवीर चंद भंजदेव बहुत आशान्वित थे। प्रवीर के सामाजिक जीवन की पहली झलक मिलती है सन 1950  में जगदलपुर राजमहल परिसर में आयोजित मध्यप्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मलेन में, जिसमे उन्होंने आदिवासी समाज, उनकी शिक्षा और विकास को लेकर अपने विचार रखे थे। उनके भाषण के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत क...
विशेष : निर्भया महिला मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग प्रोग्राम – छत्तीसगढ़ की बेटियों में आत्मरक्षा की अनूठी पहल

विशेष : निर्भया महिला मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग प्रोग्राम – छत्तीसगढ़ की बेटियों में आत्मरक्षा की अनूठी पहल

Chhattisgarh, India, Tribal Area News and Welfare, Vishesh Lekh
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश में इन दिनों महिलाओ एवं बेटियों के खिलाफ यौन हिंसा एवं बलात्कार की घटनाओ की वृद्धि हुई है। महिला एवं बच्चो के प्रति हिंसा एवं दुराचार के रोकथाम हेतु प्रादेशिक स्तर पर निर्भया महिला मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग प्रोग्राम की आवयश्कता है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के अव्वल एवं उच्च शैली के मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग मास्टर मृत्युंजय साहू द्वारा नया रायपुर में संचालित कन्या शालाओ में विशेष सत्र लगा कर, निःशुल्क मार्शल आर्ट्स एवं सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग बच्चियों को दी जारी है। मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग पाकर बच्चे विशेषकर बालिका वर्ग का आत्मविश्वास बहुत बढ़ा है और वे बहुत रूचि से शिविर में हिस्सा ले रही। मृत्युंजय साहू द्वारा मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग का वीडियो देखे ट्रेनिंग मास्टर मृत्युंजय साहू का साक्षात्कार ट्रेनिंग मास्टर मृत्युंजय साहू के साथ हुई छोटी वार्ताल...
जानिए कौन था बस्तर का रियल मोगली के नाम से दुनियाभर में प्रसिद्ध “चेंदरू द टाईगर बाय”

जानिए कौन था बस्तर का रियल मोगली के नाम से दुनियाभर में प्रसिद्ध “चेंदरू द टाईगर बाय”

Chhattisgarh, Dantewada, Tribal Area News and Welfare, Vishesh Lekh
शकुंतला दुष्यंत के पुत्र भरत बाल्यकाल में शेरों के साथ खेला करते थे वैसे ही बस्तर का यह लड़का शेरों के साथ खेलता था। इस लड़के का नाम था चेंदरू। चेंदरू द टायगर बाय के नाम से मशहुर चेंदरू पुरी दुनिया के लिये किसी अजुबे से कम नही था। बस्तर मोगली नाम से चर्चित चेंदरू पुरी दुनिया में 60 के दशक में बेहद ही मशहुर था। चेंदरू के जीवन का दिलचस्प पहलू था उसकी टाइगर से दोस्ती, वह भी रियल जंगल के। दोस्ती भी ऐसी कि दोनों हमेशा साथ ही रहते थे, खाना, खेलना, सोना सब साथ-साथ। बस्तर का रियल मोगली कहलाने वाले चेंदरू ने 2013 में दुनिया को अलविदा कहा था। साठ साल पहले चेंदरु ने दुनिया भर का ध्यान खींचा था। फ्रांस, स्वीडन, ब्रिटेन और दुनिया के कोने-कोने से लोग सिर्फ उसकी एक झलक देखने को, उसकी एक तस्वीर अपने कैमरे में कैद करने को बस्तर पहुंचते थे। बस्तर की मारिया जनजाति का चेंदरु मंडावी पूरी दुनिया में टाइगर ब्वॉ...
व्यक्ति विशेष : पेले (Pele) – ब्राज़ील के फुटबॉल खिलाड़ी का निधन, फूटबाल के जादूगर, सर्वश्रेष्ठ, सबसे महान खिलाडी

व्यक्ति विशेष : पेले (Pele) – ब्राज़ील के फुटबॉल खिलाड़ी का निधन, फूटबाल के जादूगर, सर्वश्रेष्ठ, सबसे महान खिलाडी

India, Vishesh Lekh
रायपुर। आज 30 दिसंबर 2022 देर रात को ब्राज़ील फुटबाल खिलाडी पेले का निधन हो गया है। पेले ब्राज़ील ही नहीं विश्व के महान फुटबॉल खिलाडी, फुटबाल के जादूगर एवं ब्लैक पर्ल के नाम से विख्यात थे। कैसे Edson Arantes do Nascimento से नाम पड़ा पेले - Pele   पेले का मूल नाम Edson Arantes do Nascimento था उनका जन्म 23 अक्टूबर 1940 को हुआ। उनके पिता डोडिन्हो (Dondinho) भी ब्राज़ील के Fluminense क्लब के लिए फुटबॉल खेला करते थे। बचपन के  5 वर्ष की उम्र से वे गलियों में अपने मित्रो के साथ फुटबॉल की कला सीखा करते थे। उन्हें तो माता पिता "Dico" प्यार से बुलाते थे, पर Edson उर्फ़ पेले को Vasco De Gama के फुटबॉल खिलाडी गोलकीपर Belle बहुत पसंद था, जिसका अर्थ होता है "जादुई" पर नाम बिगड़ते बिगड़ते "Pele" पड़ गया जिसका कोई अर्थ ही नहीं है। पेले के पिता की फुटबॉल छोड़ने के बाद माली हाथ ठीक नहीं थी, तब खेल में इतन...
विशेष-लेख : नक्सल प्रभावित गांव कुधुर में बही विकास की बयार : 48 किसानों ने धान बेचने कराया पंजीयन समर्थन मूल्य पर पहली बार बेचा धान

विशेष-लेख : नक्सल प्रभावित गांव कुधुर में बही विकास की बयार : 48 किसानों ने धान बेचने कराया पंजीयन समर्थन मूल्य पर पहली बार बेचा धान

Tribal Area News and Welfare, Vishesh Lekh
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की दूरदृष्टि सोच और जन हितैषी फैसलों का परिणाम है कि दशकों से नक्सल प्रभावित ग्राम कुधुर में निरंतर विकास की बयार बह रही है। ग्राम कुधुर कोण्डागांव जिले के अंतिम छोर पर मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर कोण्डागांव, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर के सीमा पर पड़ने वाली अतिसंवदेनशील एवं पहुंचविहिन ग्राम है। गौरतलब है कि ग्राम कुधूर कई दशकों से नक्सली गतिविधियों एवं दुर्गम रास्तों के कारण विकास की मुख्यधारा से पिछड़ता चला गया था। यहां मूलभूत सुविधाओं के लिए भी लोगो को दुर्गम रास्तों से होते हुए नजदीकी तहसील मर्दापाल तक जाना पड़ता था। जिसके चलते यहां आजादी से अब तक बहुत कम विकास हो पाया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार बनते ही राज्य के दूरस्थ वनांचलों के लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए बनाए गए नीतियों के कारण इन क्षेत्रों में लगातार विकास हो...
तालपुरी इंटरनेशनल कॉलोनी – समस्या समाधान हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ से संपर्क करें : अरुण मिश्रा

तालपुरी इंटरनेशनल कॉलोनी – समस्या समाधान हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ से संपर्क करें : अरुण मिश्रा

Vishesh Lekh
तालपुरी इंटरनेशनल कॉलोनी के नाम में ही इंटरनेशनल सम्मिलित है। इसके बावजूद यहाँ के निवासियों का बौद्धिक स्तर अभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के समकक्ष नहीं पहुँच पा रहा है। वो आज भी पानी, लिफ्ट, सफाई, सुरक्षा जैसी महत्वहीन समस्याओं को लेकर हाउसिंग सोसाइटी, नगर पालिक निगम, छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड, जनशिकायत पोर्टल इत्यादि के माध्यम से शिकायत दर्ज कराते रहते हैं। तालपुरी निवासियों को को इतना तो ज्ञान होना ही चाहिये कि इंटरनेशनल कॉलोनी की समस्याओं के समाधान की ज़िम्मेदारी स्थानीय शासन की नहीं अपितु संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) की होती है। लोग पहुंच जाते हैं समस्या लेकर हाउसिंग सोसाइटी के पास। सोसाइटी इस लिये बना रखी है क्या? वो तो रिटायर हो गये थे, टाइमपास नहीं हो रहा था, तो सोसायटी बना ली। जब नौकरी में थे तब भी किसी काम के नहीं थे और न ही कोई इज्जत थी, तो रिटायरमेंट के बाद क्या खाक इज्जत होती? तो...
वंदे भारत बिलासपुर-नागपुर एक्सप्रेस : ये ट्रैन सुविधा नहीं छत्तीसगढ़ को पकड़या हुआ जबरदस्ती का झुनझुना है : विशेष कवरेज

वंदे भारत बिलासपुर-नागपुर एक्सप्रेस : ये ट्रैन सुविधा नहीं छत्तीसगढ़ को पकड़या हुआ जबरदस्ती का झुनझुना है : विशेष कवरेज

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पिछले बुधवार 14 दिसंबर 2022 को प्रधान मंत्री मोदी एवं अन्य मंत्रीगण ने वंदे भारत बिलासपुर-नागपुर एक्सप्रेस को हरी झंडी दे कर नागपुर स्टेशन से रवाना किया। वंदे भारत प्रधान मंत्री की महत्वकांशी योजनाओ में से एक है जिसमे आमजनो को यूरोपियन स्तर की रेलवे सुविधाएं दी जाएगी। वंदे भारत एक्सप्रेस बिलासपुर जंक्शन से शनिवार को छोड़ कर सप्ताह के सारे दिन सुबह 6:45 को रवाना होगी और रायपुर, दुर्ग, राजनांदगाव, गोंदिया स्टेशनो पर स्टॉपेज लेते हुए अंत में दोपहर 12:15 बजे दोपहर तक नागपुर जंक्शन पहुंचेगी। इस हाई स्पीड ट्रैन से कुल सफर 7 घंटे से घटकर 5:30 घंटा हो जायेगा, ऐसा भारतीय रेलवे का लक्ष्य है। रूट पर चल रही पुरानी ट्रेनों का हाल  रायगढ़-बिलासपुर-रायपुर-गोंदिया-नागपुर इस रूट पर चल रही तमाम बिलासपुर रेलवे मंडल की नियमित  ट्रैन एवं लम्बी दुरी की सुपरफ़ास्ट ट्रेने पिछले एक से डेढ़ वर्षो से अमूमन 3-4 ...