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‘नदी पर कविता लिखो’ जैसा कभी गुरूजी ने कहा था ‘गाय पर निबन्ध लिखो’

30/10/2022 posted by Dwarka Prasad Agarwal Vishesh Lekh    
घर में एक गाय थी, उसे रोज देखते थे
घर के पास नदी थी, उसे भी देखते थे
गाय नदी जैसी थी, सतत दूध देती थी
नदी गाय जैसी थी, सतत जल देती थी
भरपूर दूध पिया, पेट भर गया,
भरपूर पानी पिया, जी भर गया,
अब गाय का दूध सूख चुका है
अब नदी का जल सूख चुका है।
बेशक मैं अपराधी हूँ,
चाहे जो सजा दो
लेकिन मुझसे यह न कहो
कि गाय पर निबन्ध लिखो
या नदी पर कविता लिखो।
अब नहीं लिख सकता मैं
बचपन की बात और थी।”
-द्वारिका प्रसाद अग्रवाल

Author Profile

Dwarka Prasad Agarwal
Dwarka Prasad Agarwalद्वारिका प्रसाद अग्रवाल (अतिथि लेखक, बिलासपुर)
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के निवासी, मूल रूप से व्यापारी, गद्य एवं पद्य लेखन में रूचि. व्यक्तित्व विकास तथा व्यवहार विज्ञान के प्रशिक्षक, अब तक ११ पुस्तकों के लेखक.