चेन्नई (एजेंसी) | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इतिहास रचते हुए अंतरिक्ष में एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। इसरो का “बाहुबली” रॉकेट GSLV Mk-III अपने साथ चंद्रयान-2 को लेकर उड़ान भर चुका है। इसका प्रक्षेपण 2 बजकर 43 मिनट पर हुआ। चंद्रयान 2 की सफल लॉन्चिंग के बाद देश दुनिया से इसरो को बधाई मिल रही है। लोकसभा में भी स्पीकर ओम बिरला ने भी सदन में इस सफल लॉन्च की घोषणा करते हुए वैज्ञानिकों को बधाई दी।
#ISRO#GSLVMkIII-M1 lifts-off from Sriharikota carrying #Chandrayaan2
Our updates will continue. pic.twitter.com/oNQo3LB38S
— ISRO (@isro) July 22, 2019
इसरो के इस सफल मिशन के लिए राष्ट्रपति कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी और प्रदेश मुख्यमंत्री बघेल समेत कईं बड़े नेताओं ने इसरो और देश को इस सफल लॉन्च पर बधाई दी है। इसरो प्रमुख के सीवान ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि यह चांद और इसके दक्षिणी ध्रूव की तरफ यह भारत की ऐतिहासिर यात्रा है।भारत ने पहले प्रयास में ही चंद्रयान-2 अपने मिशन पर निकल गया है।
भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है।
चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण से आज पूरा देश गौरवान्वित है।
मैंने थोड़ी देर पहले ही इसके लॉन्च में निरंतर तन-मन से जुटे रहे वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें पूरे देश की ओर से बधाई दी। #Chandrayaan2 https://t.co/50UodlbH0y
— Narendra Modi (@narendramodi) July 22, 2019
श्रीहरिकोटा से चन्द्रयान-2 का ऐतिहासिक प्रक्षेपण हर भारतीय के लिए एक गर्व का क्षण है। भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए @ISRO के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। मेरी कामना है कि टेक्नॉलॉजी के नए-नए क्षेत्रों में ‘इसरो’, नित नई ऊंचाइयों तक पहुंचे।
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 22, 2019
और फिर हमने इतिहास रच दिखाया..कर दिखाया🇮🇳🇮🇳
चंद्रयान पर शोभित भारत का झंडा आज ही 22 जुलाई के दिन 1947 को संविधानकारी सभा के द्वारा स्वीकार किया गया था।@isro की सम्पूर्ण टीम को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के लिए बधाई! अभी हमें और भी आगे जाना है।#Chandryaan2 pic.twitter.com/KGmnkHFQNN
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) July 22, 2019
इस लॉचिंग के लिए रविवार 21 जुलाई शाम छह बजकर 43 मिनट पर काउंटडाउन शुरू किया गया। इससे पहले यह प्रक्षेपण 15 जुलाई की तड़के दो बजकर 51 मिनट पर प्रस्तावित था। हालांकि प्रक्षेपण से करीब घंटेभर पहले रॉकेट में गड़बड़ी के कारण अभियान को रोकना पड़ा था।
सात सितंबर को पहुंचेगा चांद पर
अलग-अलग चरणों में सफर पूरा करते हुए चंद्रयान-2 सात सितंबर को चांद के दक्षिणी धु्रव की निर्धारित जगह पर उतरेगा।अब तक विश्व के केवल तीन देशों अमेरिका, रूस व चीन ने चांद पर अपना यान उतारा है।
चंद्रयान-1 ने खोजा था पानी
2008 में भारत ने चंद्रयान-1 लांच किया था यह एक ऑर्बिटर अभियान था। ऑर्बिटर ने 10 महीने तक चांद का चक्कर लगाया था। चांद पर पानी का पता लगाने का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।
सबसे मुश्किल मिशन
इसे इसरो का सबसे मुश्किल अभियान माना जा रहा है। सफर के आखिरी दिन जिस वक्त रोवर समेत यान का लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा, वह वक्त भारतीय वैज्ञानिकों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होगा।
तीन हिस्सों में बंटा है चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं-ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के सम्मान में लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। वहीं रोवर का नाम प्रज्ञान है, जो संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञान। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद लैंडर-रोवर अपने ऑर्बिटर से अलग हो जाएंगे।
ऑर्बिटर: ये सालभर चांद की परिक्रमा करते हुए विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद लैंडर-रोवर ऑर्बिटर से अलग हो जाएंगे।
लैंडरः अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के सम्मान में लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। यह सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक उतरेगा।
रोवरः इसका नाम प्रज्ञान है, जो संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञान। लैंडर उतरने के बाद रोवर उससे अलग होकर अन्य प्रयोगों को अंजाम देगा।