कोरबा | कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ गुरुवार को ट्रेड यूनियनों का जिले के कोयला खदानों ने टोटल वर्क डाउन रहा। कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं गए, यूनियनों के नेता ही हड़ताल सफल कराने में लगे रहे। खास बात यह रही कि इस बार के आंदोलन में नेताओं को हड़ताल सफल कराने पहले की तरह मशक्कत नहीं करनी पड़ी। यूनियन पहले अलग-अलग आंदोलन करते रहे हैं। लेकिन इस बार पांचों यूनियन एटक, इंटक, सीटू, बीएमएस व एचएमएस के झंडे एक साथ लहराते नजर आए।
इसी एकजुटता के कारण 3 दिवसीय हड़ताल के पहले दिन आंदोलन सफल दिखा। सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं मेडिकल, पानी और बिजली सुविधा चालू रखी गई। खदानों में उत्पादन और डिस्पैच को बंद करा दिया गया है। पहले दिन ही कर्मचारियों के आंदोलन के आगे प्रबंधन बेबस नजर आया। प्रबंधन ने कई जगह हड़ताल से पहले रात्रि पाली में ड्यूटी पर आए कर्मचारियों को रोकने की कोशिश भी की। कोल इंडिया में आज और कल भी हड़ताल होगी।
जिले में हर दिन 3 लाख टन कोयला उत्पादन
जिले में एसईसीएल की कोयला खदानों से हर दिन करीब 3 लाख टन कोयला निकलता है। करीब इतना ही डिस्पैच किया जाता है। हड़ताल से इन दोनों पर व्यापक असर पड़ा है। अभी दो दिन और हड़ताल है। इससे नुकसान और बढ़ेगा। जिससे उबरने में प्रबंधन को समय लगेगा। इसलिए प्रबंधन की चिंता बढ़ गई है।
आंदोलन का व्यापक असर रहा
बिजली कंपनी की मालगाड़ी कोयला ले जाने के लिए खदान के लोडिंग पॉइंट पर खड़ी रही। लेकिन हड़ताल के कारण आगे नहीं निकल पाई। जिले में भूमिगत खदानों से करीब 5000 टन कोयला हर दिन निकलता है जो आंदोलन की वजह से रुका रहा। वही कोयला खदानों के अलावा महाप्रबंधक कार्यालय, सेंट्रल वर्कशॉप, स्टोर और सीएम पीडीआईएल में भी कर्मचारी हड़ताल पर रहे। इसके चलते प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई थी।
13 हजार से ज्यादा कर्मचारी 90 फीसदी नहीं पहुंचे
जिले में एसईसीएल के 13 हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं। जिसमें कोरबा एरिया में 5837,कुसमुंडा में 2230,दीपका में 1647,गेवरा में 2748,सीडब्यूएस कोरबा में 477,सीडब्लूएस गेवरा में 246 और कोरबा सेंट्रल स्टोर में मैन पावर 54 हैं। हड़ताली यूनियनों का दावा है कि पहली दूसरी पाली में 90 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी काम पर नहीं आए।