रायपुर (एजेंसी) | धान की मशहूर छत्तीसगढ़ी किस्म जीराफूल को ज्योग्राफिकल इंडेक्स (जीआई टैग) मिल गया है। अब इस धान की इस किस्म को दुनिया में जीराफूल नाम से ही जाना जाएगा। यह प्रदेश का पहला ऐसा कृषि उत्पाद है जिसे टैग मिला है। जीरे जैसा छोटा होने की कारण ही धान की इस किस्म को जीराफूल का नाम दिया गया है। ये एक तरह की सुगन्धित चावल की प्रजाति है।
अभी हाल ही में कुछ माह पूर्व कड़कनाथ मुर्गे के लिए छत्तीसगढ़ ने कोशिश की, लेकिन इसका टैग मध्यप्रदेश को मिल गया।
बांसाझाल स्थित महिलाओं का समूह कर रहा है जीराफूल की खेती
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार सरगुजा के बतौली ब्लाॅक में बांसाझाल स्थित महिलाओं का समूह जीराफूल की खेती कर रहा है। उन्हें विवि द्वारा तकनीकी सहायता दी गई। देश में इससे पहले धान की अलग-अलग किस्मों के लिए केरल, पं. बंगाल, यूपी आदि राज्यों को जीआई टैग दिया गया है। अब इस श्रेणी में छत्तीसगढ़ भी शामिल हो गया है।
जीआई टैग क्या है?
जीआई टैग किसी उत्पाद का एक चिन्हित नाम या साइन होता है। इसे विशेष भौगोलिक उत्पत्ति, विशेष गुणवत्ता और पहचान के लिए भारत सरकार देती है। टैग 10 साल के लिए संरक्षित रहता है। इसके बाद फिर रिन्यू कराया जा सकता है।
टैगिंग से यह फायदा
- उत्पाद को कानूनी संरक्षण मिलता है। हेरा-फेरी रोकने में सहायता मिलती है।
- उत्पाद व क्षेत्र की लोकप्रियता को अलग पहचान मिलती है।
- दुनिया में प्रोडक्ट की ब्रांडिंग होती है और इससे उचित दाम भी मिलता है।
- विज्ञापन की जरूरत खत्म। उत्पाद क्वालिटी के लिए जाना जाता है।
इस धान की इसकी खासियत
नमी वाले खेतों में आसानी से इस जीराफूल का उत्पादन किया जा सकता है। यह शुद्घ देशी सुगंधित किस्म है।
कुछ और उत्पादों के लिए भी प्रयास करेंगे
डॉ. एसके पाटील, कुलपति कृषि विवि ने कहा “जीराफूल को जीआई टैग मिलना बड़ी उपलब्धि है। विवि ने कुछ और उत्पादों की पहचान की है, जिसके विशिष्ट गुण हैं। इनके लिए भी प्रयास किया जाएगा।”
अब तक छत्तीसगढ़ की इन उत्पादों को मिल चूका है जीआई टैग
उत्पाद | उत्पाद समूह |
बस्तर ढोकरा | हस्तशिल्प |
ढोकरा(लोगो) | हस्तशिल्प |
बस्तर वुडक्राफ्ट | हस्तशिल्प |