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ग्लोबल ट्राइबल कॉन्क्लेव 2022 में शामिल हुई राज्यपाल देश विदेश से आए कलाकारों का किया सम्मान

13/10/2022 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, Raipur, Tribal Area News and Welfare    

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित ग्लोबल ट्राइबल कॉन्क्लेव में शामिल हुई। इस दौरान राज्यपाल सुश्री उइके और अन्य अतिथियों ने आदि फाउंडेशन की पत्रिका का विमोचन किया। राज्यपाल सुश्री उइके ने इस अवसर पर तंजानिया, ज़िम्बाम्बे सहित देश व प्रदेश के अन्य हिस्सों से आए कलाकारों को सम्मानित किया।

राज्यपाल सुश्री उइके ने कार्यक्रम में शामिल होने देश-विदेश से आए कलाकारों का छत्तीसगढ़ में स्वागत व अभिवादन क़िया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि  छत्तीसगढ़ की माटी में देश-विदेश के कलाकारों की उपस्थिति से यहां के युवाओं का उत्साह बढ़ेगा और छत्तीसगढ़ के जनजातियों की छिपी हुई नैसर्गिक सौंदर्यता को नई पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि आजादी  के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण एवं विश्वस्तर पर आदिवासियों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसी क्रम में ट्राइबल क्वीन ग्लोबल-2022 का आयोजन एक महत्वपूर्ण और सराहनीय प्रयास है।

उन्होंने कहा कि प्रकृति पुत्रियों के अद्वितीय सौंदर्य एवं गुणों को सामने लाने की यह पहल स्वागतयोग्य है। राज्यपाल ने इस अवसर पर आदिवासी समाज के जीवन और प्रकृति के साथ उनके संबंधों पर भी अपने विचार साझा किये। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोक-संस्कृति, लोक-परंपरा और लोक-धरोहरों में आदिवासी समुदाय का स्पष्ट प्रतिबिंब दिखलाई पड़ता है। प्रकृति के सानिध्य में रहकर उन्होंने वास्तविक और मौलिक सौंदर्य को प्राप्त किया है और यह बात सिर्फ प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में नहीं होकर संपूर्ण भारतवर्ष के लिए है। कार्यक्रम को सांसद श्री सुनील सोनी, विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा ने भी अपना संबोधन दिया।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।