दिनांक : 02-Nov-2024 04:17 PM
Follow us : Youtube | Facebook | Twitter
Shadow

रायपुर : ’दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना’ से बदली अन्नू की तकदीर

30/09/2024 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, India, Vishesh Lekh    

अन्नू साहू के पति बीमार थे और काम नहीं कर पा रहे थे, वहीं अन्नू की घरेलू कामगार के रूप में होने वाली आय उनके परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। जब उनके घर में निराशा का माहौल छाया हुआ था, तब अन्नू ने यह तय किया कि उन्हें किसी अन्य पेशे की ओर रुख करना होगा। अन्नू छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की गलियों में अपनी ई-रिक्शा चलाती हैं, लोग उन्हें ध्यान से देखते हैं। हल्की ठंडी हवा और सड़कों के शोर के बीच अन्नू आत्मविश्वास से आगे बढ़ती हैं और पीछे मुड़कर नहीं देखतीं।

अन्नू ने बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद घरेलू कामगार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन इस काम में पर्याप्त आय नहीं मिल पा रही थी। राजनांदगांव की बस्तियों में, जहां अन्नू रहती थीं, साथी मजदूर अक्सर अपने अनुभव साझा करते थे। अन्नू ध्यान से सुनतीं, अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार के तरीके जानने के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं।

अन्नू के जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने श्रम विभाग की दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना के बारे में सुना। यह योजना महिलाओं को ई-रिक्शा खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके उन्हें आर्थिक स्वावलंबन का अवसर देती है। अन्नू ने इस अवसर को दोनों हाथों से थाम लिया। ज़िला श्रम अधिकारी की मदद से अन्नू ने जल्दी से आवेदन प्रक्रिया पूरी की, आवश्यक दस्तावेज़ जमा किए और अपना आवेदन प्रस्तुत किया। जब उनका आवेदन स्वीकृत हुआ, तो अन्नू ने पहली बार सफलता और आर्थिक स्वतंत्रता का स्वाद चखा।

ई-रिक्शा ड्राइवर के रूप में काम करके अन्नू ने अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक साहसिक कदम उठाया। जल्द ही उनकी आय नियमित हो गई, और अब वह हर महीने 20 से 25 हजार रुपये कमा रही है। जो उनकी पिछली आय से लगभग चार गुना थी। उन्होंने अपने बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर एक मिसाल कायम की। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ और औसत पारिवारिक आय 40 से 45 हजार रुपये प्रति माह तक पहुंच गई।

अन्नू की यात्रा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के महत्व को उजागर करती है। जब इन्हें लचीले और उत्तरदायी तरीके से डिज़ाइन किया जाता है, तो ये योजनाएँ हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सामने आने वाले विविध जोखिमों का समाधान कर सकती हैं, स्थायी आजीविका में मदद कर सकती हैं। अन्नू की कहानी इस बात की गवाही है कि लक्षित हस्तक्षेप कैसे व्यक्तियों को उनके जीवन को बदलने और उनके परिवारों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुरक्षित करने में सक्षम बना सकते हैं।

Author Profile

Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।