जिंदगी कब, क्या मोड़ ले और कौन का किस्सा जीवन के साथ जुड़ जाए, कई बार कहना मुश्किल होता है। लेकिन कहते हैं न कि अंत भला तो सब भला। कुछ ऐसा ही किस्सा बस्तर के चांदामेटा की रहने वाली दसमी कुहरामी के साथ जुड़ा है। दसमी कुहरामी के हाथों ने कभी नक्सलियों के बहकावे में आकर बंदूक थामा था। अब यही हाथ बस्तर घूमने के लिए पहुंच रहे पर्यटकों के स्वागत में जुड़ते हैं। कभी नक्सली सदस्य के रूप में पहचान रखने वाली दसमी कुहरामी की पहचान अब एक सभ्य, शिष्ट रिसेप्शनिस्ट के तौर पर बन रही है। नक्सलवाद की कड़वी सच्चाई से वाकिफ होने के बाद दसमी ने आत्मसमर्पण किया। अब समाज की मुख्यधारा से जुड़कर अपनी जिंदगी को संवार रही है। आत्मसमर्पित दसमी की आज मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से जब मुलाकात हुई तो उन्होंने अपनी कहानी मुख्यमंत्री को सुनाई। संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री बघेल ने दसमी की कहानी सुनने के बाद अपनी संवेदना जताई और उसे बेहतर काम करने के लिए प्रेरित किया।
9 साल तक नक्सली के रूप में जीवन बिताकर आत्मसमर्पण करने वाली दसमी कुहरामी की कहानी नक्सलवाद और नक्सलियों के जीवन की कड़वी सच्चाई को बयां करती है। नक्सल प्रभावित इलाके चांदामेटा की दसमी अभावों में जीवन जी रही थी। ऐसे में अपने नाच-गाने के शौक को पूरा करने के लिए वह नक्सल समूह की चेतना नाट्य मंडली में शामिल हो गई। शुरुआत में वो नक्सल गतिविधियों की हकीकत से अनजान थी। इस बीच उसकी मुलाकात नक्सल गतिविधि में शामिल वर्गेश से हुई। दोनों में प्यार पनपा और कुछ समय बाद दोनों ने शादी कर साथ जीवन बिताने का फैसला किया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दोनों ने साथ रहने के जो सपने संजोए थे, वह शादी के दिन ही बिखर गया। जिस दिन दसमी और वर्गेश की शादी हुई, उसी दिन कटेकल्याण में सुरक्षा बल के साथ हुए मुठभेड़ में वर्गेश मारा गया। दसमी भी नक्सली गतिविधि में संलिप्त रहते हुए हर वक्त भय में दिन काट रही थी। न घरवालों से मुलाकात हो पाती थी, न ही खुलकर जीवन जी पा रही थी। 9 साल तक कई तरह के बंधनों में रहने के बाद वर्ष 2020 में छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर दसमी ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला कर लिया।
आत्मसमर्पण के बाद दसमी कुहरामी को प्रशासन ने समर्पण नीति का लाभ दिया, तो दसमी भी चांदामेटा लौट गई। इस बीच चित्रकोट इको टूरिज्म रिसॉर्ट में उसे रिसेप्शनिस्ट की नौकरी भी मिल गई, और अब दसमी की जिंदगी की नयी शुरुआत हो चुकी है। अब वह सम्मानजनक जिंदगी बिता रही है। इन सबके लिए दसमी ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का आभार जताया। बकौल दसमी मुख्यमंत्री श्री बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से बस्तर में अब सकारात्मक माहौल बन रहा है। बड़ी संख्या में लोग नक्सली गतिविधि को छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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