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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व के ऐतिहासिक मुरिया दरबार में हुए शामिल

07/10/2022 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, India, Tribal Area News and Welfare    

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि मुरिया दरबार में जो घोषणाएं विगत वर्षों में की गई थी उसे पूरा किया गया है। उन्होंने बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष की मांग पर बस्तर दशहरा पर्व के मांझी-चालकी, मेंबर-मेंबरिन और पारंपरिक सदस्यों के पोशाक हेतु 5 लाख रुपए प्रदान करने की घोषणा की। वहीं शासकीय महाविद्यालय तोकापाल का नामकरण शहीद हरचंद तथा शासकीय महाविद्यालय बकावंड का नामकरण जरकरण भतरा के नाम से करने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने विगत वर्षों में समाज के सभी वर्गों के हितों के लिए समुचित कदम उठाएं हैं। इस ओर राजीव गांधी किसान न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, नरवा, गरुआ, घुरवा और बाड़ी सहित विभिन्न जनहितकारी योजनाओं से आम जनता के साथ ही किसान, मजदूर और महिलाओं को विकास की दिशा में अग्रसर होने का सुअवसर मिला है। राज्य सरकार की पहल पर राजीव युवा मितान क्लब योजना से अब युवा वर्ग मुख्यधारा से जुड़कर राज्य के विकास में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने वन आधारित और कृषि उत्पाद के मूल्य प्रसंस्करण उद्यमों की स्थापना पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक ब्लॉक में ग्रामीण औद्योगिक पार्क बना रही है,

जिससे स्थानीय स्तर पर उत्पाद को तैयार कर उसके विपणन के लिए व्यवस्था सुलभ होगी। वहीं युवाओं, महिलाओं और स्थानीय उद्यमियों को रोजागार सुलभ होगी। उन्होंने कहा कि लोहंडीगुड़ा में इमली प्रसंस्करण फैक्ट्री की शुरूआत हो रही है। इसके साथ ही कांकेर जिले में कोदो-कुटकी और रागी के प्रसंसकरण हेतु देश का सबसे बड़ा मिलेट प्लांट स्थापित किया जा रहा है। वहीं कोंडागांव में मक्का प्रसंस्करण पर आधारित एथेनॉल प्लांट स्थापित किया जा रहा है। राज्य में स्थानीय उत्पादों के विपणन व्यवस्था के लिए सभी जिले में सी-मार्ट स्थापित किए गए हैं और अब जगदलपुर में संभागीय सी-मार्ट की शुरूआत की गई है, जिससे स्थानीय उत्पाद देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लोगों तक पहुंचेगी। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार पेसा कानून को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। पेसा कानून के नियम बन जाने से अब इसका क्रियान्यवयन सरल हो गया है। उन्होंने बस्तर अंचल में देवगुड़ियों और आस्था केंद्रों के विकास को बढ़ावा देने सहित पुरातन संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए कटिबद्धता व्यक्त की। इसके साथ ही सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में घोटुल के संरक्षण पर बल दिया।

इस मौके पर राज्य के उद्योग मंत्री एवं जिला प्रभारी मंत्री श्री कवासी लखमा ने राज्य सरकार के द्वारा बस्तर अंचल के विकास हेतु किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया। वहीं सांसद बस्तर एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष श्री दीपक बैज ने बस्तर दशहरा पर्व में शामिल होने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए मांझी-चालकी और बस्तर दशहरा पर्व के पारंपरिक सदस्यों की मांग के बारे में अवगत करवाया। आरंभ में बस्तर दशहरा समिति के उपाध्यक्ष श्री बलराम मांझी और कलेक्टर श्री चंदन कुमार ने स्वागत उद्बोधन में बस्तर दशहरा पर्व के सफल संचालन के बारे में अवगत करवाया। कार्यक्रम में मांझी चालकी और बस्तर दशहरा समिति के पारंपरिक के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट किया।

इस अवसर पर माटी पुजारी श्री कमलचंद भंजदेव, अध्यक्ष बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण श्री लखेश्वर बघेल, बविप्रा के उपाध्यक्ष श्री संतराम नेताम, श्री विक्रम मंडावी, संसदीय सचिव श्री रेखचंद जैन, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड श्री चंदन कश्यप, उपाध्यक्ष बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण श्री विक्रम मंडावी, विधायक कोंडागांव श्री मोहन मरकाम, विधायक चित्रकोट श्री राजमन बेंजाम, अध्यक्ष मछुआ कल्याण बोर्ड श्री एम.आर.निषाद, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण श्री मिथिलेश स्वर्णकार, महापौर श्रीमती सफीरा साहू, सभापति नगर पालिक निगम श्रीमती कविता साहू सहित कमिश्नर बस्तर श्री श्याम धावडे़, पुलिस महानिरिक्षक श्री सुंदरराज पी., वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जितेंद्र मीणा और मांझी, चालकी, मेंबर, मेंबरिन एवं दशहरा समिति के पदाधिकारी क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।