आदिवासी नृत्य महोत्स्व एक नंबर लागत हे, इंहा आके बने लगत हे, हमर छत्तसगढ़िया मुख्यमंत्री ये आयोजन ल करके हमर आदिवासी संस्कृति ल बचाए और संवारे के काम करत हे। उक्त बातंे आज राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव देखने आए ग्रामीणों ने चर्चा के दौरान कही। रायपुर के सार्इ्रंस कॉलेज मैदान में चल रहे आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंच रहे है। साईंस कॉलेज का मैदान में लोगों का हूजूम पूर्वान्ह 11 बजे से लेकर रात 10 बजे तक बना रहता है। लोग यहां आदिवासी नृत्य के साथ-साथ प्रदर्शनी का लुत्फ उठाते हैं।
कार्यक्रम का मुख्य पंडाल कला प्रेमियों से खचाखच भरा होता है। देश के विभिन्न प्रांतों के आदिवासी कला संस्कृति, गीत और नृत्य के साथ-साथ विदेशी कलाकारों की प्रस्तुति का अनोखा संगम यहां लोगों को देखने मिल रहा है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे पूरी दुनिया एक परिवार में तब्दील हो गई है। लोग एक-दूसरे से यहां तक की विदेश से आए कलाकारों से ऐसे घुल-मिलकर बात करते हैं जैसे वह एक-दूसरे को वर्षाें से जानते और पहचानते हैं।
आदिवासी नृत्य महोत्सव देखने अपने गांव वालों के साथ आयी अभनपुर के उरबा गांव की श्रीमती रानी इस आयोजन को लेकर बेहद उत्साहित थी। बातचीत में उन्होंने छत्तीसगढ़ी में कहा कि आदिवासी नृत्य महोत्सव एक नंबर लागत हे। हमर मुख्यमंत्री आदिवासी संस्कृति ल बचाए और सवांरे के काम करत हे। श्रीमती रानी उरबा गाव के सरपंच की धर्मपत्नी है। वह अपने गांव के 78 महिला और पुरूषों को आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव दिखाने के लिए अपने साथ लेकर आई थी।
दतरेंगा रायपुर की बालिकाओं का दल भी आदिवासी नृत्य महोत्सव देखने आज साईंस मैदान आया हुआ था। बालिकाएं विभिन्न देशों एवं प्रांतों के कलाकारों को बड़े ही कौतुहल से देख रही थी और उनके नजदीक जाने के लिए लालायित नजर आई। बालिकाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्हें गीत-नृत्य का यह कार्यक्रम देखना बेहद अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन की समयावधि सरकार को बढ़ानी चाहिए,
ताकि प्रदेश के कोने-कोने से लोग आकर देश-दुनिया की कला और संस्कृति को देख और सुन सके। कुर्रू गांव के सुश्री कुसुम वर्मा ने छत्तीसगढ़ सरकार के इस आयोजन की सराहना की और कहा कि इस आयोजन के माध्यम से सरकार देश और दुनिया की आदिवासी संस्कृति और कला को एक मंच प्रदान कर रही है। इससे आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। उपरवारा के ग्रामीणों ने भी इस आयोजन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों की सराहना की और कहा कि इस भव्य आयोजन को छत्तीसगढ़ राज्य का नाम देश-दुनिया में हो रहा है।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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